
ढाका। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट की अपील डिविजन ने हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को मिली जमानत स्टे कर दी है। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार शाम ये आदेश दिया। इससे पहले ढाका हाईकोर्ट ने चिन्मय कृष्ण दास को जमानत दे दी थी। चिन्मय कृष्ण दास पहले अंतरराष्ट्रीय संस्था इस्कॉन के साथ जुड़े हुए थे। फिलहाल वो बांग्लादेश सम्मिलित सनातनी जागरण जोट के प्रवक्ता हैं। चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की ढाका पुलिस ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट के जज रेजाउल हक ने चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर रोक लगाने का फैसला किया। बांग्लादेश सरकार ने चिन्मय को मिली जमानत के खिलाफ अर्जी दी थी।
बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चिन्मय कृष्ण दास की जमानत पर स्टे अपील की अर्जी और हाईकोर्ट का पूरा फैसला आने तक लगा रहेगा। चिन्मय कृष्ण दास को ढाका पुलिस ने 25 नवंबर 2024 को देशद्रोह का आरोप लगाकर गिरफ्तार किया था। ढाका पुलिस ने आरोप लगाया है कि चटगांव में अपनी एक जनसभा में चिन्मय कृष्ण दास ने धार्मिक ध्वज को बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज से ऊपर रखा। भारत समेत तमाम देशों के हिंदुओं ने चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किए जाने की निंदा करते हुए उनको रिहा करने की मांग की थी। इससे पहले चिन्मय के वकीलों ने चटगांव कोर्ट में जमानत की अर्जी दी थी। पहली अर्जी 25 नवंबर 2024 को और दूसरी अर्जी 11 दिसंबर को दी गई थी, लेकिन कोर्ट ने इन अर्जियों को खारिज कर दिया था।
बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को शेख हसीना की सरकार का पतन हो गया था। जिसके बाद वहां कट्टरपंथियों ने अल्पसंख्यक हिंदुओं को निशाना बनाना और उनकी हत्या शुरू की। चिन्मय कृष्ण दास ऐसी ही घटनाओं का विरोध कर रहे थे। बांग्लादेश के हिंदू समुदाय को उन्होंने एकजुट कर लिया था। जिससे घबराकर बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने देशद्रोह का गलत आरोप लगाकर चिन्मय कृष्ण दास को जेल में बंद किया है। अब सुप्रीम कोर्ट से उनकी जमानत पर स्टे लगने के कारण चिन्मय को और ज्यादा वक्त तक बांग्लादेश की जेल में वक्त गुजारना पड़ेगा।