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BBC Documentary : PM मोदी डॉक्यूमेंट्री विवाद के बाद यूक्रेन पर घिरा BBC, नई डॉक्यूमेंट्री पर अब पश्चिम में हंगामा

BBC Documentary : लंदन स्थित बीबीसी के मुख्यालय पर भारतीय प्रवासियों की भीड़ ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी लगातार बीबीसी से डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान कई लोग ‘बॉयकॉट बीबीसी’, ‘ब्रिटिश बायस कॉर्पोरेशन’, ‘बीबीसी यू डोन्ट डिजर्व पब्लिक मनी’ जैसे तख्तियां दिखा रहे थे।

नई दिल्ली। बीबीसी द्वारा प्रधानमंत्री मोदी के ऊपर बनाई गई एक डॉक्यूमेंट्री के बाद देशभर में खूब बवाल मचा। गुजरात दंगों पर बनी यह बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देश की कई नामी-गिरामी यूनिवर्सिटीज में विवाद का विषय बनी। सरकार ने इसको बेशक बैन कर दिया है लेकिन राजनीतिक गलियारों में ऐसी चर्चाएं तेज हैं। इसी बीच अब यूक्रेन युद्ध पर जारी एक डॉक्यूमेंट्री भी विवादों में आ गई है। खबर है कि इसमें ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने कहा था कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी थी। कहा जा रहा है कि पश्चिमी देशों में इस डॉक्यूमेंट्री को लेकर राजनीति गर्म होती जा रही है।

आपको बता दें कि भारत में बीबीसी द्वारा ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नामक डॉक्यूमेंट्री को लेकर जमकर विरोध प्रदर्शन जारी है। सरकार ने इसके प्रसारण पर रोक लगा दी है, लेकिन इसके बावजूद दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे बड़े संस्थानों में सार्वजनिक तौर पर प्रसारण और बाद में हिंसा की खबरें सामने आईं। हाल ही में राजस्थान सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने फिल्म को देखने के चलते 11 छात्रों को सस्पेंड कर दिया है। मुंबई में भी टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) में प्रबंधन की तरफ से इनकार किए जाने के बाद भी छात्रों के एक समूह ने लैपटॉप और फोन पर फिल्म देखी। जिसके बाद बवाल भी खूब हुआ।

आपको बता दें कि लंदन स्थित बीबीसी के मुख्यालय पर भारतीय प्रवासियों की भीड़ ने जमकर प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी लगातार बीबीसी से डॉक्यूमेंट्री नहीं दिखाने की मांग कर रहे थे। इस दौरान कई लोग ‘बॉयकॉट बीबीसी’, ‘ब्रिटिश बायस कॉर्पोरेशन’, ‘बीबीसी यू डोन्ट डिजर्व पब्लिक मनी’ जैसे तख्तियां दिखा रहे थे। केंद्र सरकार की तरफ से डॉक्यूमेंट्री पर बैन लगाने का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। दिल्ली के एक वकील ने मनामाना और असंवैधानिक करार दिया है। उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। याचिकाकर्ता ने सरकार के 21 जनवरी के आदेश को रद्द करने की भी मांग जाहिर की है।