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Akshardham Temple New Jersey: अमेरिका के अक्षरधाम मंदिर में मनाया गया अंतरधार्मिक सद्भावना दिवस, विश्व के सभी प्रमुख धर्मों के प्रतिनिधि एक मंच पर

Akshardham Temple New Jersey: गौरतलब है कि अक्षरधाम मंदिर आनेवाले सभी लोगों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें विश्वास, एकता और नि:स्वार्थ सेवा के सिद्धांतों का अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है। इसकी शानदार वास्तुकला और शांत वातावरण सभी पृष्ठभूमि के लोगों को आपसी सम्मान और समझ के साथ एक साथ आने के लिए पृष्ठभूमि प्रदान करता है।

नई दिल्ली। 4 अक्टूबर को अमेरिका के न्यूजर्सी के रॉबिंसविले में बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर में परम पूज्यमहंत स्वामी महाराज के सान्निध्य में विशेष द्वितीय चरण का मूर्ति प्रतिष्ठा कार्यक्रम पूर्ण हुआ। इस पवित्र समारोह में भगवान श्रीराम, माता सीताजी, हनुमानजी, लक्ष्मणजी, भगवान शिव, माता पार्वतीजी, गणेशजी, कार्तिकेयजी, भगवान श्री कृष्ण, राधाजी, भगवान श्री तिरूपति बालाजी और बीएपीएस परम्परा के आध्यात्मिक गुरुओं की दिव्य मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा की गई। इस शुभ अवसर पर अनेक प्रतिष्ठित अतिथियों की उपस्थिति देखी गई, जिसमें श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष पूज्य स्वामी गोविंददेव गिरि भी शामिल थे। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “आपने जो बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर बनाया है वह एक लाइटहाउस है।यह एक प्रकाशपुंज है, जो हमेशा के लिए अपनी रोशनी देगा। यह प्रकाशपुंज पीढ़ी दर पीढ़ी ज्ञान के रूप में प्रसारित होगा। यह मानवता का मंदिर है, आस्था का मंदिर है, सार्वभौमिक प्रेम और सौहार्द का मंदिर है; वैश्विक भाईचारे का मंदिर है।”

आज का यह महत्वपूर्ण समारोह उत्तरी अमेरिका में बीएपीएस स्वामिनारायण अक्षरधाम मंदिर के गहरे आध्यात्मिक, सांस्कृतिक महत्व और हिंदू विरासत के संरक्षण और प्रचार के प्रति इसकी प्रतिबद्धता का उदाहरण देता है। शाम की विशिष्ट और विराट सभा में, विभिन्न धर्म, आस्था व परंपराओं के प्रमुख ऐसे20 प्रतिनिधियों के एक समूह के साथ ‘इंटरफेथ हार्मनी डे’ नामक एक कार्यक्रम की मेजबानी की गई। यह विशेष कार्यक्रम 8 अक्टूबर, 2023 को अक्षरधाम महामंदिर के भव्य समर्पण समारोह से पहले एक सप्ताह तक चलने वाले समारोहों की श्रृंखला में एक महत्वपूर्ण आकर्षण था।

इस कार्यक्रम में इस्लाम धर्म, ईसाई धर्म, यहूदी धर्म, हिंदू धर्म, जैन धर्म, सिक्ख धर्म और बौद्ध धर्म के प्रतिनिधि एक साथ आए। यह सभा अक्षरधाम के मूल सिद्धांतों का प्रमाण थी, जहां विविधता में एकता, और मानवता को एक साथ बांधने वाली श्रद्धा का नित्य पूजन होता है। आज के कार्यक्रम से इस सेतु को और भी मज़बूती मिली।

सभासदों को संबोधित करते हुए, पूज्य ब्रह्मविहारिदास स्वामी ने कहा, “हमारा मानना है कि धर्म का सार सद्भाव है, और यह हिंदू धर्म, सनातन धर्म की मूल मान्यता है… हम अलग-अलग पंखों और अलग-अलग उड़ानों वाले पक्षी हो सकते हैं, लेकिन हम सभी एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हम सभी इस पृथ्वी पर उसी घोंसले का अभिन्न भाग हैं, जो हमारा आध्यात्मिक घर है।”

गौरतलब है कि अक्षरधाम मंदिर आनेवाले सभी लोगों के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, जो उन्हें विश्वास, एकता और नि:स्वार्थ सेवा के सिद्धांतों का अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है। इसकी शानदार वास्तुकला और शांत वातावरण सभी पृष्ठभूमि के लोगों को आपसी सम्मान और समझ के साथ एक साथ आने के लिए पृष्ठभूमि प्रदान करता है। ‘इंटरफेथ हार्मनी डे’ इन मूल्यों का एक ज्वलंत प्रतिबिंब है, जो विभाजन को पाटने और मानवता के बंधन को मजबूत करने के लिए सकारात्मक विश्वास की शक्ति का प्रदर्शन करता है।

अक्षरधाम की अपनी यात्रा पर विचार करते हुए, नेशनल काउंसिल ऑफ चर्चेज के गवर्निंग बोर्ड के अध्यक्ष बिशप डारिन मूर ने कहा, “आज हम वास्तव में पवित्र भूमि पर हैं। यह जो स्मारक खड़ा किया गया है, वास्तुकारों ने जिस अद्भुत तरीके से इसे इतना विस्तार दिया है, वह विस्मयकारी है। लेकिन जो चीज़ इसे सबसे अधिक शक्तिशाली बनाती है, वह वे लोग हैं जो इस महान आंदोलन का हिस्सा हैं।”

कुछ इसी तरह की भावना व्यक्त करते हुए, एरिया सेवेंटी, चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लैटर-डे सेंट्स के एल्डर डेविड बकनर ने सभा के सामने अपने अनुभव के बारे में बात की। “जैसे ही मैंने इस खूबसूरत स्थान में प्रवेश किया और मैंने शिखरों को देखा, हमें बताया गया कि वे किस चीज़ का प्रतिनिधित्व करते हैं, अध्यात्म से अलंकृत वास्तुकला! लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात जो है वह कलात्मक प्रतिभा का यह प्रयास है जो आंखों को प्रकाश की ओर देखने के लिए आकर्षित करता है। मैं प्रतीत करने लगा कि मैं स्वर्ग की ओर देख रहा हूँ। मैं बिल्कुल वही महसूस कर रहा था जो एक मंदिर में सभी को करना चाहिए। मुझे भगवान की ओर मुड़ना चाहिए, मुझे यह देखने में मदद मिलेगी।”

पूरे आयोजन के दौरान, उपस्थित लोग अंतरधार्मिक संवाद, प्रार्थना और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में रत थे, जो इस भीषण दौर में आशा की किरण के समान प्रेरणादायी था। यह एक जीवंत और ज्ञानवर्धक अनुभव था, जिसने साझा मूल्यों, नैतिकता और सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जो व्यक्तियों को विभिन्न धार्मिक परंपराओं से जोड़ता है।

सभा को संबोधित करते हुए, परम पूज्य महंतस्वामी महाराज ने विभिन्न आध्यात्मिक और धार्मिक नेताओं की सभा को देखकर प्रसन्नता व्यक्त की। “हम एक ही आकाश, एक ही धरती साझा करते हैं। हम एक जैसी हवा में सांस लेते हैं, एक जैसा पानी पीते हैं और हम सभी भगवान की संतान हैं। यह अक्षरधाम का संदेश है,” उन्होंने बताया।

इंटरफेथ हार्मनी डे ने उपस्थित लोगों को इस यादगार अवसर पर साझा किए गए इंटरफेथ संवाद, एकता और परस्पर सम्मान की भावना ने सबको भावविभोर करदिया। इस कार्यक्रम ने उस स्थायी संदेश को रेखांकित किया जो अक्षरधाम का प्रतीक है- सम्मान, करुणा और सच्ची समझ के माध्यम से, हम सद्भाव और एकता का सच्चा विश्व बना पाते हैं।