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…तो इन दवाओं की बदौलत चीन ने अपने यहां कोरोना पर पाया काबू!

फिलहाल इन सबके बीच चीन का दावा है कि उसने इस वायरस की असरदार दवा खोज ली है। पेकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नई दवा से बीमार के रिकवरी में लगने वाला समय कम होगा।

नई दिल्ली। दुनिया में कोरोना के कोहराम से तबाही मची हुई है। दुनियाभर में इसके मरीजों की संख्या 49 लाख के करीब हो चुकी है। वहीं इसकी शुरुआत चीन से हुई लेकिन वहां कोरोना के मामले कम सामने आ रहे हैं। मामले आ भी रहे हैं तो पूरे देश को मिलाकर भी कोरोना संक्रमण के नए मामले सिंगल डिजिट में सिमट गए हैं।

चीन में कोरोना के मामले कम सामने आने के पीछे एक बड़ी वजह लॉकडाउन का सख्ती से पालन होना और दूसरा इसके इलाज का खास तरीका भी है, जो बहुत से देशों से कहीं ज्यादा मजबूत दिख रहा है। चीन में कोरोना के कुल मामलों पर नजर डालें तो पता चलता है कि यहां कोरोना के कुल आंकड़े 82,960 हैं, जिसमें 4,634 मौतें भी शामिल हैं।

चीन ने अपने यहां कोरोना पर लगाम लगाने के लिए एक तो टेस्टिंग पर काफी जोर दिया और युद्धस्तर की व्यवस्थाएं की। वहां कोरोना मरीजों को हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन नामक एंटीबायोटिक का कॉम्बिनेशन दिया जा रहा है। इसके साथ मरीजों को आयरन के लिए जिंक भी दे रहे हैं, जिसे देने से मरीजों को काफी राहत मिल रही है। इन दो कॉम्बिनेशन दवाओं के साथ-साथ एस्कॉर्बिक एसिड, बी-कॉम्प्लेक्स, सेलेनियम, एल-कार्निटाइन और विटामिन बी-12 भी दिया जा रहा है।

corona

ये सारे सपलिमेंट हैं, जो शरीर के इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करते हैं। साथ में भी लगभग डेढ़ महीनों तक दिया जाता है ताकि मरीज में ग्लूकोज का स्तर कम न होने पाए। सलाइन देना कोरोना वायरस के ट्रीटमेंट का अहम प्रोटोकॉल है, जिसे कतई नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। वैसे बता दें कि देश में भी किसी सर्जरी के बाद या मरीज के कमजोर हो जाने पर सलाइन दिया जाता है और कई बार इसी के साथ आईवी के जरिए एंटीबायोटिक भी दी जाती हैं।

इसके अलावा वुहान में कुछ दिनों पहले 6 नए मामले दिखने को मिले थे, जिसके बाद वहां पर पूरे वुहान के टेस्ट की बात कही गई। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि वो शहर की 1 करोड़ 10 लाख के आसपास की आबादी का कोरोना टेस्ट लगभग 10 दिनों के भीतर कर सकेगा। हालांकि फिलहाल इसपर अपडेट नहीं आई है कि क्या वुहान में इतने बड़े पैमाने पर जांच शुरू हो चुकी है।

चीन में कोरोना के अलावा दूसरे मरीजों की भी कोरोना जांच होती है ताकि समय रहते इलाज शुरू हो जाए। बता दें कि हमारे यहां पर कोरोना के ऐसे मरीजों के मामले आए हैं, जिनमें लंग्स की बजाए हार्ट या ब्रेन वायरस के संक्रमण का शिकार हुआ। यानी अगर कोई मरीज सिर में दर्द की शिकायत लेकर आए या फिर मांसपेशियों में जकड़न हो लेकिन बुखार या खांसी जैसा कोई लक्षण न हो तो भी उसे कोरोना हो सकता है। इसी लाइन के आधार पर चीन में कोरोना टेस्ट हो रहा है।

Oxford University Corona Vaccine

फिलहाल इन सबके बीच चीन का दावा है कि उसने इस वायरस की असरदार दवा खोज ली है। पेकिंग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नई दवा से न केवल बीमार के रिकवरी में लगने वाला समय कम होगा, बल्कि साथ में थोड़े वक्त के लिए वो बीमारी के लिए इम्यून भी हो जाएगा। इस दवा का जानवरों पर सफल प्रयोग भी हो चुका है।