Big Allegation: ‘फासीवादी तत्व लगाना चाहते हैं श्रीलंका में आग’, कार्यकारी राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का बड़ा आरोप
विक्रमसिंघे ने बताया कि फासीवादी तत्वों से संघर्ष में सेना के 24 जवान घायल हुए। इनमें से 2 की हालत काफी गंभीर है। रानिल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और विद्रोहियों में बड़ा अंतर होता है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में शामिल तमाम लोगों ने भी कहा है कि इस तरह की हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी सही नहीं है।
कोलंबो। श्रीलंका में हालात काफी विषम हैं। वहां जबरदस्त आर्थिक संकट है। इससे परेशान होकर लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी पिछले दिनों श्रीलंका के राष्ट्रपति के आवास में घुस गए। उन्होंने मौजूदा कार्यकारी राष्ट्रपति और तब पीएम रहे रानिल विक्रमसिंघे का निजी आवास तक फूंक दिया। अब विक्रमसिंघे ने प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वालों पर बड़ा आरोप लगाया है। रानिल ने शुक्रवार को बयान दिया कि देश में लोकतंत्र को दबाकर कुछ फासीवादी मानसिकता के लोग श्रीलंका में आग लगाना चाहते हैं। उन्होंने अपने इस आरोप के पक्ष में उदाहरण देते हुए कहा कि कोलंबो में संसद के पास मौजूद सुरक्षाबलों के दो हथियार और कारतूस ऐसे ही लोगों ने बीते दिन हंगामे के दौरान चुरा लिए।
Also, there are groups that are trying to set the country on fire through fascist methods by suppressing democracy. Two weapons belonging to the security forces along with bullets were stolen by such persons near Parliament: Sri Lanka’s Acting President Ranil Wickremesinghe
— ANI (@ANI) July 15, 2022
विक्रमसिंघे ने बताया कि फासीवादी तत्वों से संघर्ष में सेना के 24 जवान घायल हुए। इनमें से 2 की हालत काफी गंभीर है। रानिल ने कहा कि प्रदर्शनकारियों और विद्रोहियों में बड़ा अंतर होता है। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन में शामिल तमाम लोगों ने भी कहा है कि इस तरह की हिंसा, तोड़फोड़ और आगजनी सही नहीं है। उन्होंने बताया कि श्रीलंका में कानून और व्यवस्था की हालत सुधारने के लिए विशेष कमेटी बनाई गई है। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, पुलिस के आईजी और तीनों सेना के प्रमुखों को रखा गया है। कमेटी से कहा गया है कि हिंसा को रोकने के लिए वे कोई भी कानूनी कदम उठाने के लिए स्वतंत्र हैं।
कार्यकारी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद जारी पहले बयान में रानिल विक्रमसिंघे ने ये भी कहा कि उन्होंने दो और अहम फैसले लिए हैं। पहला ये कि राष्ट्रपति को अब महामहिम नहीं कहा जाएगा। इसके अलावा राष्ट्रपति का अलग झंडा भी अब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि देश के सांसदों को संसद में खुलकर अपनी बात रखने का मौका मिलेगा और वे आम लोगों के दुखदर्द की जानकारी सरकार तक आसानी से पहुंचा सकेंगे। बता दें कि श्रीलंका में राष्ट्रपति का चुनाव अब 22 जुलाई को होगा।