
नई दिल्ली। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर की आज एससीओ सम्मेलन 2025 में शामिल होने से पहले चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात हुई। जयशंकर ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अभिवादन शी जिनपिंग को दिया। जिनपिंग के साथ अपनी मुलाकात के बारे में जयशंकर ने खुद सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति शी को हमारे द्विपक्षीय संबंधों में हाल ही में हुई प्रगति से अवगत कराया। जयशंकर ने जिनपिंग से स्पष्ट शब्दों में कहा कि इस संबंध में हमारे नेताओं के मार्गदर्शन को मैं महत्व देता हूं।
VIDEO | External Affairs Minister S Jaishankar (@DrSJaishankar) meets Chinese President XI Jinping in Beijing.
(Source: Third Party)
(Full video available on PTI Videos – https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/sEBcf0REZl
— Press Trust of India (@PTI_News) July 15, 2025
शंघाई सहयोग संगठन का वर्तमान अध्यक्ष होने के नाते चीन इसकी मेजबानी कर रहा है। जून 2020 में भारत और चीन की सेनाओं के बीच गलवान में हुई हिंसक झड़पों के बाद दोनों देशों के रिश्ते गंभीर रूप से बिगड़ गए थे। हालांकि पिछले कुछ महीनों में भारत और चीन ने सीमा समझौता किया और द्विपक्षीय संबंधों को सुधारने के लिए कई उपाय शुरू किए। हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन का दौरा किया था और अब विदेश मंत्री शंघाई सहयोग संगठन की बैठक में शामिल होने के लिए बीजिंग पहुंचे हैं। इससे पहले कल विदेश मंत्री एस. जयशंकर अपने चीनी समकक्ष वांग यी से मिले थे।
Called on President Xi Jinping this morning in Beijing along with my fellow SCO Foreign Ministers.
Conveyed the greetings of President Droupadi Murmu & Prime Minister @narendramodi.
Apprised President Xi of the recent development of our bilateral ties. Value the guidance of… pic.twitter.com/tNfmEzpJGl
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) July 15, 2025
दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई थी जिसमें सीमावर्ती विवादों का शांति से हल निकालने, व्यापारिक रिश्तों को मजबूत करने और किसी भी मतभेद को विवाद न बनने देने को लेकर चर्चा हुई थी। जयशंकर की यह यात्रा कई मायनों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन को द्विपक्षीय संबंधों के प्रति दूरदर्शी दृष्टिकोण और एक स्थिर एवं रचनात्मक संबंध बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने भारत और चीन के संबंध सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ने पर विश्वास जताया।