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Bangladesh: बांग्लादेश में तख्तापलट के बाद पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को किया गया रिहा, जानिए किस मामले में 17 साल तक काटी थी जेल की सजा

Bangladesh: खालिदा जिया की सरकार का पहला अंत 1996 में हुआ था। उस समय वे प्रधानमंत्री थीं, लेकिन 15 फरवरी 1996 को हुए चुनावों में शेख हसीना की पार्टी और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि खालिदा जिया ने चुनाव में धांधली की है। विपक्ष ने इस चुनाव का बायकॉट किया और खालिदा जिया को उनके पद से हटाने के लिए देशभर में असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। यह आंदोलन इतना उग्र हो गया कि खालिदा जिया को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। 1996 के इस चुनाव में खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी को 300 में से 278 सीटें मिली थीं।

नई दिल्ली। 5 अगस्त 2024 की तारीख बांग्लादेश के इतिहास में काले अक्षरों में दर्ज हो गई है। इसी दिन बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार का वहां की सेना ने तख्तापलट कर दिया। शेख हसीना के लिए मूसिबतें इतनी ज्यादा बढ़ गईं कि उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा। जैसे ही शेख हसीना ने देश छोड़ा, बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन ने एक आदेश जारी किया कि 17 साल से जेल में बंद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया को तुरंत रिहा किया जाए। आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि आखिर खालिदा जिया कौन हैं और क्यों उन्हें जेल में बंद किया गया था।

खालिदा जिया कौन हैं?

खालिदा जिया बांग्लादेश की प्रमुख राजनीतिक हस्तियों में से एक हैं। वे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की नेता हैं और दो बार देश की प्रधानमंत्री रह चुकी हैं। पहली बार वे 1991 से 1996 तक और दूसरी बार 2001 से 2006 तक प्रधानमंत्री रहीं। उनके कार्यकाल के दौरान देश में कई महत्वपूर्ण घटनाएँ घटीं, जो उनके राजनीतिक करियर को प्रभावित करती रहीं।

खालिदा जिया के जेल जाने की कहानी

बांग्लादेश में खालिदा जिया और शेख हसीना दो ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने बारी-बारी से सरकार में रहकर देश को चलाया है। खालिदा जिया की जेल यात्रा की शुरुआत 2006 से होती है जब देश में राजनीतिक हिंसा चरम पर पहुँच गई थी और सेना का कंट्रोल हो गया था।

2006 में जब खालिदा जिया प्रधानमंत्री थीं, उस समय उनके और उनके बेटों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे थे। 2009 में जब शेख हसीना की सरकार बनी तो उन्होंने खालिदा जिया को सत्ता में वापस आने से रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। 2018 में खालिदा जिया पर आरोप लगे कि उन्होंने अपने पति के नाम पर बने एक अनाथालय में धन का गबन किया है। इसी साल उन्हें भ्रष्टाचार के दो मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई।

खालिदा जिया की सरकार का अंत

खालिदा जिया की सरकार का पहला अंत 1996 में हुआ था। उस समय वे प्रधानमंत्री थीं, लेकिन 15 फरवरी 1996 को हुए चुनावों में शेख हसीना की पार्टी और विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि खालिदा जिया ने चुनाव में धांधली की है। विपक्ष ने इस चुनाव का बायकॉट किया और खालिदा जिया को उनके पद से हटाने के लिए देशभर में असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया। यह आंदोलन इतना उग्र हो गया कि खालिदा जिया को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। 1996 के इस चुनाव में खालिदा जिया की पार्टी बीएनपी को 300 में से 278 सीटें मिली थीं।