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नेपाल में अपनी ही सरकार के खिलाफ सत्ताधारी सांसदों ने खोला बगावत का मोर्चा, जानें वजह

नेपाल सरकार ने वहां के पुरुषों के साथ विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं के लिए नागरिकता कानून में बदलाव किया है। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने रविवार को संसदीय समिति ने बहुमत से ये कानून पारित कर दिया है।

काठमांडू। नेपाल सरकार ने वहां के पुरुषों के साथ विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं के लिए नागरिकता कानून में बदलाव किया है। नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने रविवार को संसदीय समिति ने बहुमत से ये कानून पारित कर दिया है। प्रमुख विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी के नेताओं ने इस पर विरोध करते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया है।

क्या है नया कानून ?

नेपाल की संसद की प्रतिनिधि सभा की राज्य व्यवस्था समिति ने नागरिकता कानून में संशोधन के सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पाटी के प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया है। नए प्रस्ताव के तहत नेपाली पुरुषों के साथ विवाह करने वाली विदेशी महिलाओं को शादी के बाद नेपाल की नागरिकता पाने के लिए सात साल तक का लंबा इंतजार करना होगा। यह कानून भारत समेत तमाम देशों पर लागू होगा। हालांकि समिति से अधिकतर सदस्यों ने इस प्रस्ताव को सहमति दे दी है लेकिन देश की मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस और कुछ अन्य पार्टियों ने इस विवादित संशोधन प्रस्ताव का विरोध किया है। नेपाली नागरिकरता पाने के लिए विदेशी महिला को सात साल बाद अपनी पुरानी नागरिकता त्यागने का प्रमाण या उससे जुड़ा प्रमाण दिखाना होगा।

पार्टी के सचिवालय में शनिवार को हुई एक बैठक में ये फैसला लिया गया है। ये कानून भारत सहित सभी विदेशी महिलाओं पर लागू होगा। सत्तारुढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि नागरिकता कानून 2006 में संशोधन करना पड़ोसी देश भारत जैसा कदम उठाना है जहां भारतीय पुरुष से शादी करने वाली विदेशी महिला को कानूनी तौर पर नागरिकता का अधिकार पाने के लिए सात साल का इंतजार करना पड़ता है।

विपक्षी दल ने किया विरोध

वहीं कम्युनिस्ट पार्टी, विपक्षी नेपाली कांग्रेस और जनता समाजवादी पार्टी के कई नेताओं का कहना है कि शादी के बाद किसी महिला के नागरिकता पाने के कानूनी हक के मूलभूत हक पर इस प्रस्ताव का असर पड़ेगा। इन नेताओं का कहना है कि कम्युनिस्ट पार्टी की जिस बैठक में इस नए प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है उसमें सिर्फ नौ पुरुष सदस्य थे।

उनका कहना है कि भारत और नेपाल के सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले नागरिकों के बीच अंतर-देशीय शादियां सदियों से होती रही हैं और इस नए प्रस्ताव से नागरिकों के बीच के आपसी संबंध बिगड़ सकते हैं। नेता ये डर भी जता रहे हैं कि नागरिकता कानून को लेकर जारी विवाद से नागरिकता सुधारों और इस नए कानून को संसद से मंजूरी मिलने में देरी हो सकती है, और इसका असर नागरिकता सर्टिफिकेट का इंतजार कर रहे लोगों पर पड़ सकता है।

नागरिकता कानून 2006

नेपाल में नागरिकता का सर्टिफिकेट जरूरी प्रमाण पत्र होता है जिसकी जरूरत ढेरों काम के लिए होती है, यहां तक मोबाइल फोन के सिम कार्ड लेने के लिए भी इसे दिखाना होता है। नागरिकता कानून 2006 में लाए गए कानून में नेपाली पुरुष से शादी करने वाली विदेशी महिला की नागरिकता सबसे विवादित मुद्दों में से एक है। लेकिन दो साल बाद भी इस मुद्दे पर विवाद जारी है, और अब इस नए प्रस्ताव के बाद विवाद और गहरा रहा है।