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India in IMF: श्रीलंका की मदद को भारत ने बढ़ाया हाथ, IMF के राहत पैकेज के सपोर्ट में सबसे आगे हम

India in IMF : अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत की मदद पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘भारत की मदद से श्रीलंका में सामुदायिक विकास परियोजना संबंधी समझौते पर वर्ष 2005 में हस्ताक्षर किए गए थे।

कोलंबो। इस वक्त भारत का पड़ोसी मुल्क श्रीलंका आर्थिक संकट से जूझ रहा है। चीन की चपेट में आए श्रीलंका को दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ा। कोलंबो पोर्ट से लेकर श्रीलंका के बड़े-बड़े प्रोजेक्ट चीन के लालच के चलते पूरी तरह फेल हो गए और रही सही कसर श्रीलंका के आंतरिक हालातों ने पूरी कर दी। जब श्रीलंका की मदद के लिए कोई भी देश आगे नहीं आया तो भारत में मदद का हाथ आगे बढ़ाते हुए श्रीलंका पर भरोसा जताया। भारत कर्ज में घिरे श्रीलंका के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष राहत पैकेज के समर्थन में खड़ा हुआ है। इसके साथ ही भारत गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे श्रीलंका के उबरने के प्रयासों को समर्थन देने वाला पहला प्रमुख ऋणदाता बन गया है। 2 दिवसीय यात्रा पर गुरुवार को श्रीलंका पहुंचे जयशंकर ने श्रीलंकाई समकक्ष अली साबरी और राष्ट्रपति रानिल विक्रमासिंघे सहित अन्य शीर्ष नेताओं से मीटिंग की।

आपको बता दें कि श्रीलंका की मदद करते हुए दोनों देशों के बीच नए द्विपक्षीय समझौते के तहत भारत ने समुदाय विकास परियोजना की राशि दोगुनी करने पर सहमति जताई। जयशंकर ने भारत की ओर से लागू आवासीय परियोजना के तहत गाले, कैंडी और नुवारा इलिया जिले में 300 तैयार घरों को सौंपा। जयशंकर ने कहा कि कोलंबो आने का मेरा पहला मकसद इन कठिन पलों में श्रीलंका के साथ भारत की एकजुटता व्यक्त करना है। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए यह ‘पड़ोसी पहले’ का मुद्दा है और किसी सहयोगी को अपने हाल पर नहीं छोड़ना है। भारत ने दृढ़ता से महसूस किया है कि श्रीलंका के ऋणदाताओं को इसके उबरने के प्रयासों में मदद के लिए सक्रिय कदम उठाने चाहिए। भारत ने तय किया है कि वह दूसरों का इंतजार नहीं करेगा, बल्कि उसे जो उचित लगेगा, वैसा करेगा। हमने श्रीलंका के लिए आगे बढ़ने का रास्ता साफ करने की खातिर IMF को वित्तपोषण का आश्वासन दिया है। हमारी उम्मीद है कि इससे न केवल श्रीलंका की स्थिति मजबूत होगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित होगा कि सभी द्विपक्षीय ऋणदाताओं के साथ समान व्यवहार की अपेक्षा की जाती है।”

1948 में मिली आजादी के बाद सबसे गंभीर आर्थिक संकट 

गौर करने वाली बात यह है कि आर्थिक संकट से गुजर रहे श्रीलंका को 1948 में आजादी आजादी मिली थी जिसके बाद से वो सबसे गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहा है और उसे संकट से उबरने में मदद के लिए भारत ने विभिन्न तरीकों से करीब 4 अरब अमेरिकी डॉलर की मदद दी है। श्रीलंका आईएमएफ से 2.9 अरब डॉलर का ऋण हासिल करने की कोशिश में लगा है। वह चीन, जापान और भारत जैसे प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन हासिल करने की कोशिश कर रहा है। दरअसल, आईएमएफ ने राहत पैकेज को रोक दिया है और वह श्रीलंका के प्रमुख कर्जदाताओं से वित्तीय आश्वासन चाहता है। और भारत श्रीलंका की ऐसे वक्त में मदद के लिए आगे आया है।

भारत की मदद पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति की प्रतिक्रिया

आपको बता दें कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में भारत की मदद पर श्रीलंकाई राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के कार्यालय की ओर से जारी बयान में कहा गया, ‘भारत की मदद से श्रीलंका में सामुदायिक विकास परियोजना संबंधी समझौते पर वर्ष 2005 में हस्ताक्षर किए गए थे। इस परियोजना की सीमा 30 करोड़ रुपये थी, जिसे इस समझौते में दोगुना कर 60 करोड़ रुपये किया जाएगा। भारत के विदेश मंत्री से बातचीत के दौरान श्रीलंका के कर्ज पुनगर्ठन कार्यक्रम पर विशेष गौर किया गया और भारत सरकार की ओर से इसपर सकारात्मक रिएक्शन मिला।’