नई दिल्ली। अक्सर आपने एक बात सुनी होगी कि हमारा भारत युवाओं का देश है जहां की 65 प्रतिशत आबादी 18 से 35 साल के बीच की है इसलिए हम इन यंग ब्रेन्स को इंडिया के ग्रोथ इंजन की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। कई मौकों पर तो प्रधानमंत्री मोदी भी ये बात कह चुके हैं। लेकिन सबसे पहले आप से एक बेसिक सा सवाल पूछना चाहता हूं कि आखिर युवा कौन हैं? यूनाइटेड नेशन्स के हिसाब से तो जिनकी उम्र 15 से 24 साल के बीच है, वही युवा हैं, लेकिन हमारे देश में युवा की परिभाषा थोड़ी अलग है, यहां जिनकी उम्र 15 से 29 साल के बीच होती है उन्हें युवा माना जाता है हालांकि राजनीति में राहुल गांधी जैसे कुछ अपवाद जरूर हैं।
यूएन कहता है कि पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा युवा भारत में रहते हैं। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से भी इस समय देश की 27 फीसदी से ज्यादा आबादी युवा है लेकिन देश में युवाओं को लेकर अब जो एक नई सरकारी रिपोर्ट सामने आई है। उसमें बेहद चौंकाने वाले खुलासे किए गए हैं। यूथ इन इंडिया 2022 की ये रिपोर्ट जारी की है सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने, इस रिपोर्ट में युवाओं को लेकर तमाम आंकड़े दिए गए हैं।
इसके मुताबिक, 2021 तक भारत की आबादी 136 करोड़ होने का अनुमान लगाया गया है अनुमान इसलिए क्योंकि अभी आधिकारिक जनगणना नहीं हुई है। अब इस 136 करोड़ में से 27.3% यानी 37.14 करोड़ की आबादी युवा है। रिपोर्ट ये भी बताती है कि धीरे-धीरे भारत बूढ़ा भी होता जा रहा है। इसके हिसाब से 2036 तक देश में 34.55 करोड़ आबादी ही युवा रह जाएगी। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि आने वाले 15 साल में भारत में युवाओं की आबादी कम होने लगेगी और बुजुर्गों की आबादी बढ़ने लगेगी। इसमें ये भी अनुमान लगाया गया है कि 2036 तक भारत की कुल आबादी में युवाओं की हिस्सेदारी घटकर 22.7% पर आ जाएगी। यानि, अगले 15 साल में 100 में से 77 लोग बूढ़े होंगे। इस रिपोर्ट की मानें तो देश में युवाओं की आबादी का पीक 2011 था। उस वक्त देश की 27.6% से ज्यादा आबादी युवा थी, लेकिन उसके बाद से यूथ पॉपुलेशन घटने लगी।
उत्तर प्रदेश और बिहार में 2021 तक युवाओं की आबादी बढ़ती रही, लेकिन अब इन दोनों राज्यों में भी युवा आबादी में गिरावट आ सकती है। अगर राज्यवार देखें तो यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पूरे देश की आधी से ज्यादा युवा आबादी रहती है। वहीं, आंध्र प्रदेश, गुजरात, हिमाचल, कर्नाटक, केरल, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में युवा आबादी कम है।
अब सवाल उठता है कि युवा आबादी क्यों घट रही है और देश बुढ़ापे की तरफ क्यों बढ़ रहा है असल में इसके तीन बड़े कारण हैं-
1. फर्टिलिटी रेट- पिछले कुछ सालों से फर्टिलिटी रेट में लगातार गिरावट आ रही है। फर्टिलिटी रेट यानि वो दर जो बताती है कि एक महिला औसतन कितने बच्चों को जन्म देती है। साल 2011 में ये फर्टिलिटी रेट 2.4 था, जो 2019 तक घटकर 2.1 पर पहुंच गया।
2. क्रूड डेथ रेट- भारत में घटता डेथ रेट भी इसकी एक बड़ी वजह है। क्रूड डेथ रेट का मतलब है कि प्रति 1,000 लोगों पर कितनी मौतें हो रहीं हैं। जहां 2011 में ये क्रूड डेथ रेट 7.1 था वहीं 2019 तक ये 6.0 तक गिर गया।
3-इसके अलावा इनफैंट मोर्टेलिटी रेट यानि नवजात मृत्यु दर भी इसकी एक बड़ी वजह है। इससे पता चलता है कि प्रति 1000 जन्म पर कितने नवजात बच्चों की मौत हुई। इन्फैन्ट मोर्टेलिटी रेट भी लगातार कम हो रहा है। जहां 2011 में हर 1000 जन्म पर 44 मौतें हो रही थीं, वहीं 2019 में ये घटकर 30 पर आ गई।