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Kohinoor Diamond: कोहिनूर हीरे को ब्रिटेन से लाने की कोशिश में है मोदी सरकार, ब्रिटिश अखबार का दावा

कोहिनूर हीरे को ईस्ट इंडिया कंपनी और सिखों के बीच तीसरे जंग के बाद अंग्रेजों ने तत्कालीन पंजाब के राजकुमार दिलीप सिंह से हासिल किया था। इसे महारानी विक्टोरिया को गिफ्ट किया गया। 104 कैरेट के कोहिनूर हीरे को तराशकर ब्रिटिश ताज में लगा दिया गया। तभी से ये उसमें लगा है।

लंदन। बड़ी खबर ब्रिटेन से है। वहां के अखबार ‘द डेली टेलीग्राफ’ का दावा है कि भारत की मोदी सरकार ब्रिटिश ताज में जड़े कोहिनूर हीरे की वापसी के लिए कोशिश कर रही है। कोहिनूर के अलावा भारत से ब्रिटेन ले जाई गईं अन्य कलाकृतियों को भी वहां से वापस लाने की कोशिश हो रही है। द डेली टेलीग्राफ ने अपनी खबर में बताया है कि मोदी सरकार इसके लिए ठोस प्रयास करने जा रही है। ताकि कोहिनूर और ब्रिटिश शासन के दौरान वहां ले जाई गईं बहुमूल्य धरोहरें भारत को वापस मिल सके। बता दें कि कोहिनूर को वापस लाने की मांग मोदी सरकार से तमाम लोग करते रहे हैं।

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ब्रिटिश अखबार के मुताबिक ब्रिटेन से कूटनीतिक और व्यापार संबंधी बातचीत में कोहिनूर और अन्य कलाकृतियों को वापस करने का मसला भारत उठाएगा। इसके लिए लंदन में राजनयिकों से समन्वय किया जा रहा है। सबसे पहले छोटे संग्रहालयों और निजी कलेक्टर्स से भारतीय कलाकृतियों को वापस लेने का इरादा मोदी सरकार का है। इसके बाद अन्य चीजों के लिए ब्रिटिश सरकार से बात की जाएगी। आजादी के बाद से भारत अब तक 251 कलाकृतियों को विदेश से ला चुका है। करीब 100 अन्य कलाकृतियों को लाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है।

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कोहिनूर हीरे को ईस्ट इंडिया कंपनी और सिखों के बीच तीसरे जंग के बाद अंग्रेजों ने तत्कालीन पंजाब के राजकुमार दिलीप सिंह से हासिल किया था। इसे महारानी विक्टोरिया को गिफ्ट किया गया। 104 कैरेट के कोहिनूर हीरे को तराशकर ब्रिटिश ताज में लगा दिया गया। महाराजा रणजीत सिंह से पहले कोहिनूर हीरा अफगानिस्तान के शासक के पास था। जिसे नादिरशाह ने मुगल बादशाह मुहम्मद शाह से हथियाया था। तमाम लोग ये भी दावा करते हैं कि सबसे पहले ये हीरा पांडवों के पास था। जिनसे भगवान कृष्ण को मिला। दावा किया जाता है कि इसे तब शम्यंतक मणि कहा जाता था।