
इस्लामाबाद। वैश्विक आतंकवाद यानी ग्लोबल टेररिज्म के गढ़ पाकिस्तान में अब सबसे खतरनाक दहशतगर्द संगठन आईएसआईएस ने भी पैर रख दिए हैं। जाहिर तौर पर भारत के लिए खतरा और बढ़ गया है। इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रॉविंस यानी आईएसकेपी ने दावा किया है कि उसने बलूचिस्तान में अपने ट्रेनिंग कैंप बनाए हैं। आईएसकेपी ने बलूचिस्तान की आजादी के लिए पाकिस्तानी सेना से जंग लड़ रहे बलूच लिबरेशन आर्मी और बलूच लिबरेशन फ्रंट को धमकी भी दी है। आईएसकेपी ने कहा है कि वो इस्लाम के दुश्मनों के खिलाफ खूनी जंग छेड़ने के लिए तैयार है। इससे लग रहा है कि आईएसकेपी और पाकिस्तानी सेना के बीच साठ-गांठ है! सवाल ऐसे में है कि क्या फील्ड मार्शल बने पाक सेना के प्रमुख आसिम मुनीर के इशारे पर आईएसकेपी आगे आया है?
आईएसकेपी ने बलूचिस्तान के मुस्लिमों से कहा है कि वे बलूच संगठनों के आंदोलन से दूर रहें। आईएसकेपी ने कहा है कि बलूच संगठनों की सभाओं और प्रदर्शनों पर वो हमले कर सकता है। आईएसकेपी ने तालिबान पर भी हमले किए हैं। आईएसकेपी ने अगस्त 2021 में काबुल एयरपोर्ट पर फिदायीन बम हमला किया था। आईएसकेपी के हमले में तालिबान सरकार के मंत्री की मौत हुई थी। पाकिस्तान में भी तहरीक-ए-तालिबान यानी टीटीपी नाम का आतंकी संगठन सक्रिय है। ऐसे में टीटीपी और आईएसकेपी के आतंकियों के बीच भी संघर्ष के आसार बन सकते हैं। इससे पाकिस्तान में हिंसा और तेज हो सकती है। टीटीपी के आतंकी शिया मुस्लिमों और पाकिस्तान की सेना को पहले से ही निशाना बनाते रहे हैं।
बलूच विद्रोही पहले ही आरोप लगा चुके हैं कि पाकिस्तान की सेना आईएसकेपी को हथियार दे रही है। आईएसकेपी के एक कैंप पर अप्रैल में बलूच विद्रोहियों ने हमला भी किया था। जिसमें 30 लोगों की जान गई थी। पाकिस्तान इतना कट्टरपंथी देश हो चुका है कि वहां हर आतंकी आसानी से शरण पा जाता है और अपनी कारगुजारियां करने लगता है। यहां तक कि ग्लोबल टेररिस्ट घोषित अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन भी अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान के एबटाबाद में 5 साल तक रहा। अमेरिका की खुफिया एजेंसी सीआईए ने अगर उसे तलाशा न होता, तो लादेन अब भी पाकिस्तान में आराम से रह रहा होता। अब आईएसकेपी के बलूचिस्तान में पैर पसारने के एलान के साथ ही पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों की संख्या और भी बढ़ गई है।