
नई दिल्ली। इजरायल ने अब सीरिया पर अटैक कर दिया है। सीरिया की राजधानी दमिश्क में स्थित रक्षा मंत्रालय और सेना मुख्यालय पर इजरायली सेना ने ड्रोन तथा बम दागे हैं। इजरायल डिफेंस फोर्सेज (आईडीएफ) ने इन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा कि हमने ड्रूज अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे सीरिया के स्थानीय सैनिकों के हमले का बदला लिया है। सेना मुख्यालय और रक्षा मंत्रालय दोनों बिल्डिंग के ध्वस्त होने की बात कही जा रही है। इस हमले में सीरिया को कितना नुकसान हुआ फिलहाल इसकी पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है। आईडीएफ का कहना है कि ड्रूज नागरिकों के खिलाफ की जा रही कार्रवाइयों पर हमारी नजर है। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि यह पूरा मामला है क्या-
Israel’s devastating attack on Syria
pic.twitter.com/I8bIjZB8rD— Smita Prakash (@smitaprakash) July 16, 2025
ड्रूज समुदाय और बेदोइन सशस्त्र समूह के बीच लड़ाई को दबाने के लिए सीरियाई सैनिकों ने हस्तक्षेप किया। जिसके बाद ड्रूज लड़ाकों और सैनिकों के बीच ही संघर्ष शुरू हो गया। अब इजरायल इन ड्रूज समुदाय के लोगों की रक्षा की बात करते हुए इसमें कूद पड़ा। ड्रूज मुद्दे को लेकर इजरायल और सीरिया के बीच समझौते के 24 घंटे के अंदर ही इजरायल ने हमला कर दिया।
⭕️The IDF struck the entrance of the Syrian regime’s military headquarters in the area of Damascus in Syria.
The IDF continues to monitor developments and the regime’s actions against Druze civilians in southern Syria. In accordance with directives from the political echelon,… pic.twitter.com/WSyBFrCiog
— Israel Defense Forces (@IDF) July 16, 2025
कौन हैं ड्रूज समुदाय के लोग?
ड्रूज समुदाय की उत्पत्ति 11वीं सदी में मिस्र में हुई थी। इस समुदाय के लोग इजरायल, सीरिया, लेबनान और जॉर्डन में रहते हैं। ड्रूज समुदाय न तो इस्लाम को मानता है और न ही यहूदी धर्म को, बल्कि इस समुदाय के लोगों का जो धर्म है वो हिंदू, बौद्ध, ईसाई, यहूदी और इस्लाम धर्मों को मिला-जुलाकर बना है। सीरिया और इजरायल के बीच गोलन हाइट्स इलाके को लेकर विवाद रहा है। इजरायल का कहना है कि गोलन हाइट्स में रहने वाले ड्रूज नागरिक दक्षिण सीरिया में चले गए थे, जिनकी वापसी के लिए इजरायल की सरकार प्रयासरत है। सीरिया में लगभग 7 लाख ड्रूज समुदाय के लोग हैं। जिसमें गोलान हाइट्स में 29,000 से ज्यादा ड्रूज रहते हैं, ये लोग खुद को सीरियाई नागरिक मानते हैं।