
टोक्यो। जापान नई-नई तकनीकी के लिए दुनियाभर में पहचाना जाता है। जापान ने अब एक और तकनीकी करिश्मा कर दिखाया है। जापान ने अंतरिक्ष में पहला लकड़ी से बना सैटेलाइट लॉन्च किया है। जबकि, अब तक जितने भी देशों ने अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजे हैं, वे धातु के बने हुए हैं। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी यानी JAXA ने जिस लकड़ी से बने सैटेलाइट को सफलता से अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया है, उसका नाम ‘लिग्नोसैट’ है। जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी ने लकड़ी का बना लिग्नोसैट अंतरिक्ष में इसलिए प्रक्षेपित किया, ताकि पता चल सके कि इस काम के लिए लकड़ी का इस्तेमाल कितना टिकाऊ रहेगा।
जाक्सा के भेजे लकड़ी के लिग्नोसैट सैटेलाइट से ये भी पता चलेगा कि अंतरिक्ष के कठिन वातावरण में लकड़ी पर किस तरह का असर पड़ता है। अगर जापान का लिग्नोसैट सैटेलाइट अंतरिक्ष में लंबे समय तक काम करता है, तो भविष्य में अन्य देश भी लकड़ी से बने उपग्रह अंतरिक्ष में भेज सकते हैं। जानकारी के अनुसार लिग्नोसैट को होनोकी मैग्नोलिया नाम की लकड़ी से तैयार किया गया है। ये लकड़ी वातावरण के बदलावों को सहन करने और मजबूती के लिए जानी जाती है। जापान के लिग्नोसैट उपग्रह को सिर्फ 10 सेंटीमीटर लंबा बनाया गया है। जापान में लकड़ी के कारीगरों ने लिग्नोसैट को तैयार किया है। लिग्नोसैट की मजबूती की बड़ी परीक्षा होनी है। इसकी वजह ये है कि अंतरिक्ष में हवा और नमी नहीं होती। इसके अलावा अंतरिक्ष में छोटे उल्कापिंड भी घूमते हैं। जो किसी भी सैटेलाइट को नष्ट कर सकते हैं।
अब तक अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले सैटेलाइट में टाइटेनियम, सोने के फॉइल वगैरा का इस्तेमाल किया जाता है। टाइटेनियम काफी मजबूत होता है। साथ ही अंतरिक्ष के वातावरण में सोने का फॉइल सैटेलाइट के यंत्रों की रक्षा में अहम भूमिका निभाता है। अंतरिक्ष में तापमान भी काफी कम और ज्यादा होता रहता है। वायुमंडल न होना इसका कारण है। ऐसे में सैटेलाइट्स में लगे यंत्रों के ठीक से काम करने के लिए उनको तापमान में बदलाव से भी बचाना पड़ता है। लकड़ी के ढांचे के भीतर यंत्रों को कितनी सुरक्षा मिलेगी, ये कुछ दिन बाद ही पता चलेगा।