
रोम। पोप फ्रांसिस की हालत गंभीर है। उनको सांस लेने में दिक्कत है। पोप फ्रांसिस का इलाज कर रहे डॉक्टरों के मुताबिक उनको ज्यादा मात्रा में ऑक्सीजन देनी पड़ रही है। पोप फ्रांसिस पहले से ही दमा की बीमारी के मरीज रहे हैं। बढ़ती उम्र के कारण उनकी सांस संबंधी दिक्कत में इजाफा हुआ है। पोप फ्रांसिस का स्वास्थ्य बेहतर हो इसके लिए दुनियाभर के कैथोलिक ईसाई प्रार्थना कर रहे हैं। पोप फ्रांसिस 88 साल के हैं। वो मूल रूप से अर्जेंटीना के हैं। पोप फ्रांसिस पहले जेसुइट पादरी रहे। साल 2013 में रोमन कैथोलिक चर्च ने उनको पोप चुना था।
पोप फ्रांसिस से पहले पोप बेनेडिक्ट 16वें कैथोलिक ईसाइयों को सर्वोच्च धर्मगुरु थे। पोप फ्रांसिस 1000 साल में पहले ऐसे हैं, जो यूरोपीय मूल के नहीं हैं। उनसे पहले सभी पोप यूरोप से ही चुने जाते रहे हैं। पोप फ्रांसिस की हालत गंभीर होने के कारण इन चर्चाओं ने जोर पकड़ा है कि अगर उनका देहांत हो गया, तो कौन कैथोलिक ईसाइयों का सर्वोच्च धर्मगुरु बनेगा। पोप फ्रांसिस का अगर देहांत होता है, तो उसकी जानकारी वेटिकन के सबसे वरिष्ठ अधिकारी करते हैं। फिलहाल सबसे वरिष्ठ अधिकारी कार्डिनल केविन फैरेल हैं। निधन होने पर उनके दाएं हाथ की अंगुली में पहनी पोप को दर्शाने वाली अंगूठी को नष्ट किया जाएगा और फिर उनके निवास को भी सील किया जाएगा। फिर पोप के शरीर से दिल समेत कई अंग निकाले जाने और उनको संरक्षित करने का नियम है।
अभी तक जितने भी पोप का निधन हुआ, उनका अंतिम संस्कार 4 से 6 दिन में किया गया। पोप के अंतिम संस्कार की सारी तैयारी कार्डिनल कॉलेज के डीन करते हैं। निधन के बाद पोप को वेटिकन ग्रोटो में दफनाया जाता है। पोप के निधन के बाद 9 दिन शोक मनाया जाता है। शोक का दौर खत्म होने के बाद वेटिकन से जुड़े दुनियाभर के कार्डिनल इकट्ठा होते हैं और नए पोप का चुनाव करते हैं। ये पूरी प्रक्रिया गुप्त रखी जाती है। इसके बाद एक चिमनी से धुआं छोड़ा जाता है। धुएं का रंग सफेद होने पर लोगों को पता चल जाता है कि नया पोप चुन लिया गया है।