
वॉशिंगटन। रूस पर अमेरिका ने आरोप लगाया है कि उसने अपने एसयू-27 लड़ाकू विमान से एमक्यू-9 ड्रोन को काला सागर के ऊपर मार गिराया। रूस कह रहा है कि उसने अमेरिका का ड्रोन नहीं गिराया है। आप में से तमाम लोग जानना चाहते हैं कि आखिर एमक्यू-9 ड्रोन क्या है और अमेरिका इसके गिराए जाने से भड़का क्यों हुआ है? तो चलिए आपको इस ड्रोन के बारे में जानकारी देते हैं। एमक्यू-9 ड्रोन को अमेरिकी कंपनी जनरल डायनमिक्स बनाती है। इसके दो वर्जन हैं। एक वर्जन के सेंसर्स के जरिए जासूसी की जा सकती है। वहीं, ‘रीपर’ नाम के वर्जन से दुश्मनों को मिसाइल से निशाना भी बनाया जा सकता है। अमेरिका ने काबुल में अल-कायदा चीफ अयमान अल जवाहिरी को मार गिराने के लिए रीपर वर्जन के एमक्यू-9 ड्रोन का ही इस्तेमाल किया था। भारत के पास भी अमेरिका के कई एमक्यू-9 ड्रोन हैं। जबकि, रीपर खरीदने की बात चल रही है।
पायलट रहित एमक्यू-9 को दूर बैठकर दो लोग उड़ाते हैं। आसमान में ये 40000 किलोमीटर की ऊंचाई तक जा सकता है। एमक्यू-9 ड्रोन की लंबाई करीब 36 फिट, ऊंचाई 12.6 फिट और इसके डैनों की एक से दूसरी तरफ की लंबाई 65.7 फिट होती है। इसका वजन करीब 2200 किलोग्राम होता है। 1800 किलोग्राम ईंधन लेकर ये ड्रोन 1900 किलोमीटर की रेंज में काम कर सकता है। एमक्यू-9 ड्रोन की रफ्तार 480 किलोमीटर से ज्यादा होती है। काफी ऊंचाई पर उड़ने की वजह से अमेरिका के इस ड्रोन को मार गिराना काफी मुश्किल माना जाता है। इसके रीपर वर्जन ने अब तक कई बड़े आतंकियों और उनके ठिकानों को निशाना भी बनाया है।

एमक्यू-9 ड्रोन में तमाम सेंसर और कैमरों के अलावा अलग किस्म का रडार लगा होता है। इस रडार के जरिए ये ड्रोन समुद्र के नीचे पनडुब्बियों को भी देख सकता है। इससे दुश्मन को देखने के बाद रीपर वर्जन के ड्रोन से दुश्मन पर हेलफायर मिसाइलों से हमला किया जा सकता है। या फिर एमक्यू-9 से मिली जानकारी के आधार पर जमीन पर सेना की टुकड़ियां और वायुसेना के जरिए भी दुश्मनों को निशाना बनाया जा सकता है। ये ड्रोन सैटेलाइट के जरिए भी संपर्क में रहता है। ऐसे में किसी भी मौसम में इससे जानकारी जुटाई जा सकती है।