
वॉशिंगटन। लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी और मुंबई में 26/11 के हमले के आरोपियों में से एक तहव्वुर राणा ने अमेरिका से भारत प्रत्यर्पण न होने देने के लिए नया पैंतरा चला है। तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में फिर अपील की है। तहव्वुर राणा ने अपनी अपील में भारत प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की गुहार लगाई है। तहव्वुर राणा ने कहा है कि वो पाकिस्तान मूल का है और इस वजह से भारत में उसे प्रताड़ित किया जा सकता है। तहव्वुर राणा ने ये भी कहा है कि वो दिल की बीमारी, पार्किंसंस और यूरीनरी कैंसर का भी मरीज है। तहव्वुर राणा ने अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपील में ये भी कहा है कि भारत में मुकदमे का सामना करने के लिए शायद लंबे वक्त तक जिंदा नहीं रहेगा।
इस साल जनवरी में ही अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा को भारत प्रत्यर्पित करने की मंजूरी दे दी थी। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने तहव्वुर राणा की समीक्षा अर्जी खारिज कर दी थी। इसके बाद एनआईए के अफसरों को भारत सरकार ने अमेरिका भेजा था। बीते दिनों जब पीएम नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर गए थे, तब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि तहव्वुर राणा के भारत को प्रत्यर्पण की मंजूरी तत्काल दे दी गई है। ट्रंप ने कहा था कि उसे 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मामले में भारत में न्याय का सामना करना है। तहव्वुर राणा 63 साल का है और पाकिस्तान से कनाडा जाकर वहां का नागरिक बना। वो पाकिस्तान की सेना में डॉक्टर भी रहा। फिर अमेरिका के शिकागो में उसने इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म खोली।

मुंबई में 26/11 के आतंकी हमले से पहले लश्कर-ए-तैयबा के एक अन्य आतंकी डेविड कोलमैन हेडली अमेरिका से वहां पहुंचा था। हेडली और तहव्वुर राणा दोस्त हैं। आरोप है कि तहव्वुर राणा ने हेडली को मुंबई भेजकर वहां आतंकी हमले के लिए ठिकानों की रेकी करवाई। हेडली को अमेरिका में गिरफ्तार किया गया, तो उसने तहव्वुर राणा के बारे में खुलासा किया था। फिर तहव्वुर राणा को साल 2009 में अमेरिका में गिरफ्तार किया गया।