ओटावा। जस्टिन ट्रूडो अब कनाडा के कार्यवाहक पीएम बन गए हैं। उन्होंने सोमवार रात कनाडा के पीएम पद से इस्तीफा देने का एलान किया था। जस्टिन ट्रूडो ने मार्च तक संसद की कार्यवाही भी स्थगित करने का फैसला किया। यानी अब विपक्षी दल लिबरल पार्टी की सरकार के खिलाफ मार्च तक अविश्वास प्रस्ताव नहीं ला पाएंगे। उधर, जस्टिन ट्रूडो की पार्टी का समर्थन करते रहे खालिस्तान समर्थक नेता जगमीत सिंह ने कहा है कि लिबरल पार्टी दूसरा मौका देने लायक नहीं है। जस्टिन ट्रूडो 2015 से कनाडा के पीएम रहे। हाल के दिनों में कई मसलों पर वो विवाद में घिरे और विपक्ष के अलावा अपनी लिबरल पार्टी में ट्रूडो को हटाने की आवाज उठी।
जस्टिन ट्रूडो की कितनी फजीहत होने लगी थी, ये इसी से पता चलता है कि अमेरिका के नव निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उनको अपने देश के 51वें राज्य के गवर्नर के तौर पर संबोधित किया। ट्रंप ने ये धमकी भी दी कि कनाडा पर 25 फीसदी टैरिफ लगाएंगे। वहीं, लिबरल सरकार के मंत्री भी एक-एक कर इस्तीफा देते हुए जस्टिन ट्रूडो की मुश्किल बढ़ाते रहे। 16 दिसंबर 2024 को ट्रूडो सरकार में डिप्टी पीएम और वित्त मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड ने भी इस्तीफा दे दिया था। इससे लिबरल पार्टी में जस्टिन ट्रूडो की स्थिति और खराब हुई। पार्टी में काफी पहले से ही सांसद लगातार जस्टिन ट्रूडो से पद छोड़ने की मांग कर रहे थे।
जस्टिन ट्रूडो ने कूटनीतिक मोर्चे पर भी गलतियां की। उन्होंने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद बिना सबूत भारत पर आरोप लगाया। वहीं, ये एलान तक कर दिया कि अगर इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतनयाहू कनाडा आएंगे, तो अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के आदेश के कारण उनको गिरफ्तार किया जाएगा। वहीं, कई वीडियो ऐसे भी आए जिनमें आम जनता खुलेआम जस्टिन ट्रूडो का विरोध उनके ही सामने करती दिखी। अर्थव्यवस्था और बेरोजगारी की बढ़ती दर की वजह से भी ट्रूडो से लोग नाराज दिखते रहे। बहरहाल ये बता दें कि जस्टिन ट्रूडो के पिता पियरे ट्रूडो भी कनाडा के पीएम रहे थे। उनके दौर में भी भारत विरोधी तत्वों को उसी तरह कनाडा में शरण मिली थी, जैसी जस्टिन ट्रूडो की सत्ता के दौरान मिली।