नई दिल्ली। भारत में इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाकर पाकिस्तान चाहता था कि वैश्विक मंच पर भारत की किरकिरी हो लेकिन पाकिस्तान का ये सपना, उसकी ही फजीहत का कारण बन गया। दरअसल पाकिस्तान के इस आरोप पर अब खुद उसकी ही बेइज्जती हुई है। इस मुद्दे पर मालदीव ने भारत का साथ देते हुए पाकिस्तान के आरोपों का दो टूक जवाब दिया।
मालदीव ने कहा कि सोशल मीडिया पर चंद लोग जो हरकतें या बयानबाजी करते हैं, उसे 130 करोड़ भारतीयों की राय नहीं समझा जा सकता। मालदीव ने साथ में ये भी कहा कि इस्लामोफोबिया को लेकर ओआईसी को दक्षिण एशिया के किसी एक देश पर निशाना नहीं साधना चाहिए। आपको बता दें कि ओआईसी के राजदूतों की आयोजित बैठक में दक्षिण एशिया में इस्लामोफोबिया बढ़ने के मुद्दे पर चर्चा की गई थी। बैठक के दौरान पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने प्रस्ताव रखा कि भारत सक्रिय रूप से इस्लामोफोबिया के एजेंडा को बढ़ावा दे रहा है।
इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के मानवाधिकार आयोग ने भी भारत पर कोरोना वायरस के जरिए मुस्लिमों की छवि खराब कर इस्लामोफोबिया फैलाने का आरोप लगाया और इसकी निंदा की थी। ओआईसी ने कहा कि भारत सरकार इस्लामोफोबिया की लहर को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए और मुस्लिम समुदाय के अधिकारों की सुरक्षा करे।
इस मामले में यूएन में मालदीव की स्थायी प्रतिनिधी थिलमीजा हुसैन ने कहा कि कुछ भटके हुए लोगों द्वारा सोशल मीडिया पर फैलाई गई बातें भारत के 130 करोड़ लोगों की राय नहीं हो सकती। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। वहां कई धर्मों के लोगों के अलावा 20 करोड़ मुस्लिम भी रहते हैं। ऐसे में इस्लामोफोबिया की बात करना ही बेकार है, क्योंकि, इसमें कोई तथ्य नहीं है।