
नई दिल्ली। दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग में बीएपीएस स्वामीनारायण मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा महोत्सव का आयोजन रविवार को सकुशल संपन्न हुआ। 92 वर्षीय पूज्य महंत स्वामी महाराज के कर कमलों द्वारा इस शुभ कार्य को किया गया। परम पूज्य स्वामी महाराज ने मंदिर प्रांगण में सांस्कृतिक परिसर का भी उद्घाटन किया। बीएपीएस स्वामीनारायण हिंदू मंदिर और सांस्कृतिक परिसर के उद्घाटन के इस ऐतिहासिक अवसर पर बड़ी संख्या में बीएपीएस के वैश्विक आध्यात्मिक संत और बहुत से श्रद्धालु उपस्थित रहे।
South Africa: The BAPS Shri Swaminarayan Hindu Temple and Cultural Complex was officially inaugurated today in Johannesburg, with a Pran Pratishtha ceremony led by Pujya Mahant Swami Maharaj https://t.co/cpc1hQ77V6 pic.twitter.com/LzUGdYhreq
— IANS (@ians_india) February 3, 2025
दक्षिण अफ्रीका के उप राष्ट्रपति भी पहुंचे
इस दौरान दक्षिण अफ्रीका के उप राष्ट्रपति पॉल मैशाटाइल भी वहां पहुंचे। उन्होंने परम पूज्य महंत स्वामी महाराज से मुलाकात की। उप राष्ट्रपति पॉल मैशाटाइल ने दक्षिण अफ्रीका में बहुसंस्कृतिवाद और अंतर-धार्मिक सद्भाव में बीएपीएस संस्था के योगदान की प्रशंसा की।
दक्षिणी गोलार्ध का सबसे बड़ा मंदिर
बीएपीएस संस्था द्वारा जोहान्सबर्ग के नॉर्थराइडिंग में बनवाया गया यह स्वामीनारायण मंदिर दक्षिणी गोलार्ध का सबसे बड़ा मंदिर है जो एकता, विरासत और अंतरधार्मिक संवाद के प्रतीक के रूप में आने वाले समय में एक आध्यात्मिक मील का पत्थर साबित होगा। मंदिर का मूर्ति स्थापना महोत्सव बीएपीएस द्वारा आयोजित होप एंड यूनिटी फेस्टिवल के तहत 12 दिनों तक मनाए जाने वाले उत्सव का हिस्सा है। कला, संस्कृति और विरासत का यह एक ऐसा भव्य उत्सव है जो भारतीय और अफ्रीकी परंपराओं के बीच गहरे संबंधों को खूबसूरती से एक साथ जोड़ता है। परम पूज्य स्वामी महाराज विशेष रूप से मंदिर में मूर्ति प्रतिष्ठा के लिए ही भारत से दक्षिण अफ्रीका गए हुए हैं।
मूर्ति प्रतिष्ठा से पहले निकाला गया नगर जुलूस
प्राण प्रतिष्ठा से पहले, शनिवार को जोहान्सबर्ग में बड़ी संख्या में भिक्षुओं ने नगर यात्रा जुलूस निकाला। इस जुलूस में बैंड और विभिन्न कलाकारों के द्वारा भक्ति संगीत की मंत्रमुग्ध कर देने वाली प्रस्तुति दी गई। जोहान्सबर्ग में बनाया गया यह स्वामीनारायण मंदिर 5.9 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला हुआ है। मंदिर में दक्षिण अफ्रीकी समुदाय के द्वारा बोली जाने वाली अनेक भाषाओं में कला, नृत्य संबंधी विभिन्न प्रकार के पाठ्यक्रम का आयोजन भी किया जाएगा।