नई दिल्ली। म्यांमार में सेना के हवाई हमले ने अल्पसंख्यक जातीय समूह के नियंत्रण वाले एक गांव को निशाना बनाया, जिसमें कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई और 20 से अधिक लोग घायल हो गए। इस हमले की जानकारी स्थानीय परमार्थ संस्था और जातीय समूह के पदाधिकारियों ने दी। उन्होंने बताया कि इस हमले के कारण गांव में आग लग गई, जिससे सैकड़ों घर जलकर खाक हो गए। यह हमला बुधवार को पश्चिमी रखाइन प्रांत के रामरी द्वीप स्थित क्यौक नी माव गांव में हुआ। यह क्षेत्र अल्पसंख्यक जातीय समूह ‘अराकान सेना’ के नियंत्रण में है।
सेना ने नहीं की पुष्टि
म्यांमार की सेना ने अब तक इस हमले की पुष्टि नहीं की है। इलाके की स्थिति की स्वतंत्र रूप से पुष्टि करना मुश्किल है, क्योंकि वहां इंटरनेट और मोबाइल सेवाएं बाधित हैं।
2021 से जारी हिंसा
म्यांमार में हिंसा की शुरुआत फरवरी 2021 में हुई थी, जब सेना ने Aung San Suu Kyi की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को अपदस्थ कर दिया। इसके बाद सेना ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनों को बलपूर्वक दबाने का प्रयास किया। इसके परिणामस्वरूप कई सैन्य विरोधियों ने हथियार उठा लिए और देश के बड़े हिस्से में संघर्ष बढ़ गया।
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— Mizzima News (@MizzimaNews) January 9, 2025
गांव में तबाही का मंजर
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, हमले के बाद गांव में आगजनी और तबाही का मंजर है। सैकड़ों लोग अपने घरों से बेघर हो गए हैं। हालांकि, घटना की विस्तृत जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है।
म्यांमार में बढ़ती अशांति
म्यांमार में जातीय संघर्ष और सैन्य कार्रवाई ने देश को भारी नुकसान पहुंचाया है। यह घटना भी इसी अशांति का हिस्सा है, जो 2021 से बढ़ती जा रही है।
म्यांमार में सिविल वॉर का कारण देश में लंबे समय से चला आ रहा राजनीतिक अस्थिरता, जातीय संघर्ष और सेना का अधिनायकवादी रवैया है। इसका प्रमुख कारण फरवरी 2021 में हुआ सैन्य तख्तापलट है, जब म्यांमार की सेना (तत्माडॉ) ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई आंग सान सू ची की सरकार को सत्ता से हटा दिया और देश में आपातकाल घोषित कर दिया।
2021 में कैसे हुआ था सैन्य तख्तापलट
म्यांमार में 2020 के आम चुनाव में आंग सान सू ची की पार्टी, नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी (NLD), ने भारी बहुमत से जीत हासिल की। लेकिन सेना ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाते हुए सत्ता पर कब्जा कर लिया। इस कदम से जनता में आक्रोश फैल गया।
लोकतांत्रिक आंदोलन और दमन
तख्तापलट के खिलाफ जनता ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किए। लेकिन सेना ने इन आंदोलनों को कुचलने के लिए बल प्रयोग किया, जिसमें हजारों लोगों की मौत हुई और हजारों को गिरफ्तार किया गया।
लगातार छिड़ा हुआ है जातीय संघर्ष
म्यांमार में कई जातीय समूह जैसे कि काचिन, करेन, शान, और रोहिंग्या लंबे समय से अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सेना और इन समूहों के बीच दशकों से संघर्ष जारी है। 2021 के बाद, इन जातीय समूहों ने भी सेना के खिलाफ विद्रोह तेज कर दिया।
नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट
तख्तापलट के बाद, लोकतंत्र समर्थक नेताओं ने एक समानांतर सरकार “नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट” बनाई। इसे सेना ने अवैध घोषित कर दिया, जिससे संघर्ष और बढ़ गया।
अराकान सेना का विद्रोह
पश्चिमी रखाइन प्रांत में अराकान सेना जैसे जातीय समूह सेना के खिलाफ लड़ रहे हैं। ये समूह स्वायत्तता और राजनीतिक अधिकारों की मांग कर रहे हैं।