ओटावा। कनाडा में पीएम जस्टिन ट्रूडो की सरकार अल्पमत में आ गई है। जगमीत सिंह की एनडीपी के समर्थन वापस लेने के कारण जस्टिन ट्रूडो की सरकार अल्पमत में आई है। विपक्ष ने कनाडा में जल्दी संसद का चुनाव कराने की मांग की है। वहीं, जस्टिन ट्रूडो ने मीडिया से कहा कि उनको उम्मीद है कि 2025 में ही संसदीय चुनाव होंगे। ट्रूडो ने कहा कि उनको ये भी आशा है कि एनडीपी राजनीति की जगह कनाडा के लोगों के प्रति काम करने पर ध्यान देगी।
जगमीत सिंह की एनडीपी वामपंथी झुकाव वाली पार्टी है। एनडीपी ने बुधवार को जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी वाली सरकार से समर्थन वापस लेने का एलान किया। लिबरल पार्टी और एनडीपी के बीच 2022 में गठबंधन हुआ था। ट्रूडो को अगर अपनी सरकार बचाए रखनी है, तो उनको अन्य दलों से समर्थन हासिल करना होगा। कनाडा की सरकार बचाने के लिए जस्टिन ट्रूडो को काफी पापड़ बेलने पड़ सकते हैं। जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी और जगमीत सिंह की एनडीपी के बीच अगस्त से टकराव शुरू हुआ था। ट्रूडो ने एक फैसला लिया था। जिसके कारण कनाडा में दो बड़ी रेल कंपनियों ने काम बंद कर दिया था। जगमीत सिंह ने जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी पर कनाडा के लोगों को नीचा दिखाने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि ट्रूडो को कनाडा के लोगों से दूसरा मौका मिलने लायक नहीं है।
एनडीपी के समर्थन वापस लेने के बाद अब लिबरल पार्टी की सरकार के पक्ष में 154 सांसद रह गए हैं। वहीं, कंजर्वेटिव पार्टी के 119 सांसद हैं। ब्लॉक क्यूबेकस के 32, एनडीपी के 24, ग्रीन पार्टी के 2 और 3 निर्दलीय सांसद कनाडा की संसद में हैं। जस्टिन ट्रूडो ने नवंबर 2015 में पहली बार कनाडा का पीएम पद संभाला था। हाल में हुए सर्वे के नतीजे कहते हैं कि अगर अभी कनाडा में चुनाव हुए, तो जस्टिन ट्रूडो की लिबरल पार्टी हार जाएगी। जस्टिन ट्रूडो के पीएम रहते भारत और कनाडा में रिश्ते भी बिगड़े हैं। खालिस्तानी तत्वों को प्रश्रय देने के कारण जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर भारत ने तमाम आरोप लगाए। यहां तक कि कनाडा के लोगों के लिए भारत ने वीजा देना भी एक वक्त बंद किया था।