वॉशिंगटन। 29 दिसंबर 2024 को दक्षिण कोरिया के मुआन एयरपोर्ट पर जेजू एयरलाइंस का विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस हादसे में सिर्फ 2 फ्लाइट अटेंडेंच जिंदा बचे थे। अन्य 179 लोग जेजू विमान हादसे में मारे गए थे। विमान हादसे के बाद जेजू एयरलाइंस के विमान का कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर परीक्षण के लिए अमेरिका के यूएस नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड यानी एनटीएसबी के पास भेजे गए थे। ताकि पता चल सके कि जेजू एयरलाइंस के विमान का हादसा होने से पहले कोई गड़बड़ी तो नहीं हुई थी? अब एनटीएसबी ने जेजू एयर के फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर की जांच के बाद बताया है कि विमान हादसे से पहले के अंतिम 4 मिनट का कोई डेटा न तो एफडीआर में है और न ही सीवीआर में। इससे विमान हादसे की जांच में तकनीकी अड़ंगा लग सकता है।
ये हैरत वाली बात है। क्योंकि विमान के चालू रहने या उड़ान पर होने के वक्त एफडीआर यानी फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और सीवीआर यानी कॉकपिट वॉयर रिकॉर्डर में हर डेटा दर्ज होता रहता है। एफडीआर में जहां विमान के यंत्रों और अन्य पुर्जों के बारे में जानकारी होती है। वहीं, सीवीआर में पायलटों के बीच और एटीसी से हुई बातचीत दर्ज होती रहती है। सीवीआर और एफडीआर के इन्हीं डेटा के आधार पर किसी विमान हादसे की जांच में मदद मिलती है। इनसे पता चलता है कि हादसे से ठीक पहले क्या पायलटों को विमान में कोई गड़बड़ी मिली थी या विमान के किसी यंत्र में कोई खराबी आई थी। अब जेजू एयर के सीवीआर और एफडीआर में डेटा न होने से हादसे से पहले की जानकारी नहीं मिल सकती और इससे जांच में अड़ंगा लग सकता है।
एनटीएसबी के मुताबिक जेजू एयरलाइंस के विमान का हादसा होने से 4 मिनट पहले ही एफडीआर और सीवीआर को बंद कर दिया गया था। जेजू एयर का विमान 29 दिसंबर 2024 को सुबह 9.03 पर हादसे का शिकार हुआ था। मुआन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर उतरने के बाद वो दीवार से जा टकराया था। बताया जा रहा था कि विमान पक्षियों से टकराया और फिर हादसे का शिकार हुआ। आम तौर पर पक्षी के टकराने से विमान में छेद होने, इंजन बंद होने और कंट्रोल नष्ट होने के मामले सामने आते हैं। अब हादसे में जिंदा बचीं फ्लाइट अटेंडेंट ली और क्वोन से पूछताछ कर हादसे की वजह का पता करने की कोशिश हो रही है।