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India Vs Pakistan: भारत के सामने पाकिस्तान ने फिर टेके घुटने, इस मामले में पहले दिखा रहा था हेकड़ी, अब बातचीत को तैयार

पाकिस्तान एक बार फिर भारत के सामने घुटने टेकने को मजबूर हुआ है। जिस मामले में पाकिस्तान अब तक हेकड़ी दिखा रहा था, वो भारत के सख्त रुख के बाद छूमंतर हो गया है। पाकिस्तान अब भारत से बातचीत करने के लिए तैयार है। जबकि, पहले वो भारत की चिट्ठियों का जवाब तक देना गवारा नहीं कर रहा था।

इस्लामाबाद। पाकिस्तान एक बार फिर भारत के सामने घुटने टेकने को मजबूर हुआ है। जिस मामले में पाकिस्तान अब तक हेकड़ी दिखा रहा था, वो भारत के सख्त रुख के बाद छूमंतर हो गया है। पाकिस्तान अब भारत से बातचीत करने के लिए तैयार है। जबकि, पहले वो भारत की चिट्ठियों का जवाब तक देना गवारा नहीं कर रहा था। भारत और पाकिस्तान के बीच ये मामला सिंधु नदी के जल बंटवारे का है। भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु नदी के जल बंटवारे का समझौता आजादी के बाद हुआ था। इसमें विश्व बैंक ने मध्यस्थता की थी और समझौते में उसके भी दस्तखत हैं।

5 rivers of punjab including indus

सिंधु नदी के जल बंटवारे के समझौते पर पाकिस्तान ने किस तरह भारत के सामने घुटने टेके, ये हम आपको बताएंगे। पहले ये बताते हैं कि समझौता कब और क्या हुआ था। भारत और पाकिस्तान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल बंटवारे का समझौता हुआ था। इस समझौते के तहत सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का पानी भारत को मिला था। वहीं, पाकिस्तान को सिंधु, चिनाब और झेलम का पानी देने पर सहमति बनी थी। भारत ने बीते दिनों इस समझौते में संशोधन का नोटिस दिया था। पाकिस्तान इस नोटिस पर चुप्पी साधे हुए था। इसके बाद इसी साल 25 जनवरी को भारत ने एक और नोटिस भेजा और सख्त रुख अपनाने की बात कही। इससे पाकिस्तान के तेवर ढीले पड़ गए।

indus water treaty

पाकिस्तान ने अब भारत के इस नोटिस का जवाब दिया है। उसने कहा है कि सिंधु नदी के जल के इस्तेमाल पर बने स्थायी आयोग के स्तर पर वो भारत की चिंता को सुनने के लिए तैयार है। पाकिस्तान के द न्यूज के मुताबिक वहां के अधिकारियों ने माना है कि पाकिस्तान इस समझौते में निचला नदी तट वाला देश है। वहीं, भारत ऊंचे तट वाला है। सिंधु जल बंटवारे की संधि के तहत निचला नदी तट वाला पाकिस्तान इसके प्रावधानों का न तो उल्लंघन कर सकता है और न ही जल प्रवाह में कोई बाधा बना सकता है। बता दें कि सिंधु नदी आयोग की 2017 से 2022 तक 5 बैठक हुई थीं। इन बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधि नहीं आया था। पाकिस्तान इस पर चर्चा ही नहीं करना चाहता था।