नई दिल्ली। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने सोशल मीडिया पर की गई पोस्ट को हटाने से जुड़े मामले में व्हाइट हाउस का समर्थन किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बिडेन प्रशासन को सोशल मीडिया कंपनियों के साथ स्वतंत्र रूप से संवाद करने की अनुमति मिल गई है। अब अमेरिकी सरकार सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स से उन सूचनाओं को हटवा सकती है, जिन्हें वो गलत मानती है। एक तरफ तो अमेरिका लंबे समय से अपने देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दावा करता आ रहा है और दूसरी तरफ इस मामले में दोहरे मापदंड अपना रहा है। हमेशा दूसरे देशों पर उंगली उठाने वाले अमेरिका में अभिव्यक्ति की आजादी के मामले में हालात ठीक नहीं हैं।
It’s a sad day for America, as the Supreme Court has just ruled that the government can collude with Big Tech companies to censor free speech.
The First Amendment is now dead in the United States. pic.twitter.com/bvLWjfGwcw
— Tulsi Gabbard 🌺 (@TulsiGabbard) June 27, 2024
सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर अमेरिकी राजनेता तुलसी गबार्ड का कहना है कि यह अमेरिका के लिए एक दुखद दिन है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब सरकार मुक्त भाषण को सेंसर करने के लिए बिग टेक कंपनियों के साथ मिलीभगत कर सकती है। संयुक्त राज्य अमेरिका में पहला संशोधन अब समाप्त हो चुका है। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने 6-3 के मत से निचली अदालत के उन फैसलों को खारिज कर दिया, जो लुइसियाना, मिसौरी और अन्य पार्टियों के दावों का समर्थन करते थे कि डेमोक्रेटिक प्रशासन के अधिकारी असंवैधानिक रूप से सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर दबाव बना रहे थे।
यह केस पांच सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और दो राज्यों, लुइसियाना और मिसौरी द्वारा अदालत के समक्ष लाया गया था, जिन्होंने दावा किया था कि व्हाइट हाउस, अधिकारियों द्वारा दबाव डालने के बाद सोशल मीडिया प्लेटफार्मों द्वारा उनके पोस्ट को हटा दिए जाने या डाउनग्रेड कर दिए जाने से उनकी अभिव्यक्ति की आजादी बाधित हुई। इन लोगों ने कोविड-19 और साल 2020 के चुनाव के बारे में सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट की थीं जिसको लेकर सरकार को आपत्ति थी। फ्लोरिडा विश्वविद्यालय में विधि प्रोफेसर तथा प्रथम संशोधन के विशेषज्ञ क्ले कैल्वर्ट ने इस मामले में पूर्व में कहा था कि स्वतंत्र अभिव्यक्ति का मुख्य मुद्दा यह है कि सरकार किस हद तक दबाव डाल सकती है, ताकि किसी के भाषण या पोस्ट को को कार्रवाई के दायरे में आने से पहले ही हटा दिया जाए।