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Ray Dalio: अमेरिकी अरबपति ने भारत ने लिए की ऐसी ‘भविष्यवाणी’, बताया सुधारों से कैसे देश की बदल रही तस्वीर और ताकत

उन्होने आगे अपने संबोधन में कहा कि साथ ही, इतिहास में जो देश तटस्थ देश थे, उन्होंने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। तो दूसरे शब्दों में – युद्धों में विजेताओं से बेहतर। इसलिए चूंकि हमारे पास अमेरिका और चीन और उसके सहयोगियों, रूस और इसी तरह के बीच संघर्ष है, जो देश भारत जैसे बीच में हैं, वे इससे लाभान्वित होने जा रहे हैं।

नई दिल्ली। इसे हास्यास्पद दृष्टि से देखने की चूक मत कीजिएगा, अपितु यह एक गंभीर विषय है कि जहां एक तरफ भारत के कुछेक सियासी नुमाइंदे चंद सियासी फायदे के लिए वैश्विक मंच पर भारत की कथित बदहाली, बेबसी और लाचारी को दिखाने की जुगत में दिन रात जुटे हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ कुछ विलायती ऐसे भी हैं, जो कि भारत का लोहा मान रहे हैं। वो इस बात को मान रहे हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत सफलता की इबारत नित दिन लिख रहा है। इन विलायती को यह इकबाल करने में गुरेज नहीं है कि आय की तारीख में भारत एक महाशक्ति के रूप में उभरकर सामने आ रहा है। इन विलायतियों को यह मानने में कोई संकोच नहीं है कि आज की तारीख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत ने हर क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़े हैं, तो ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि फिर हमारे अपने सियासी नुमाइंदे क्यों नहीं भारत की सफलता को मानने से स्वीकार कर रहे हैं? आखिर क्यों ये लोग चंद सियासी फायदे के लिए वैश्विक मंच पर भारत की नकारात्मक छवि गढ़ने का काम कर रहे हैं?

हालांकि, इन सवालों को लेकर तो शुरू से ही सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गुलजार रहा है, लेकिन यह चर्चा अब अपने शबाब पर पहुंच चुकी है। वजह है, अमेरिका के लॉस एंजिल्स में यूसीएलए के परिसर में रॉयस हॉल में ऑल-इन समिट 2023 में रे डेलियो द्वारा दिया गया उद्बबोधन जिसमें उन्होंने भारत की जमकर तारीफ की है। उन्होंने यह स्वीकार करने में कोई गुरेज नहीं किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत सफलता नए प्रतिमान गढ़ रहा है। हालांकि, उन्होंने अपने उद्बबोधन में भारत की चुनौतियों की ओर से भी रेखांकित किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि आज की तारीख में भारत में अनेकों दुश्वारियों भी हैं, जिमसें धार्मिक उन्माद सबसे प्रमुख है। वहां आमतौर पर मजहबी तकरार की खबरें सामने आती रहती हैं, लेकिन इन तमाम तकरारों के बावजूद भी भारत ने अपनी सफलता की इबारत लिखना बंद नहीं किया, जो कि यकीनन इस मुल्क के लिए काबिले तारीफ है। उन्होंने आगे अपने संबोधन में कहा कि हमारे पास भारत और दुनिया के शीर्ष 20 देशों के लिए 10 साल की विकास दर का अनुमान है। भारत की संभावित विकास दर सबसे अधिक है। मुझे लगता है कि भारत वहीं है जहां चीन था जब मैंने 1984 में जाना शुरू किया था। इसलिए, यदि आप प्रति व्यक्ति आय के स्वरूप को देखें, तो मुझे लगता है कि मोदी डेंग जियाओपिंग हैं, ताकि आपके पास बड़े पैमाने पर सुधार, विकास रचनात्मकता, वे सभी विकास हों।


उन्होने आगे अपने संबोधन में कहा कि साथ ही, इतिहास में जो देश तटस्थ देश थे, उन्होंने सबसे अच्छा प्रदर्शन किया। तो दूसरे शब्दों में युद्धों में विजेताओं से बेहतर। इसलिए चूंकि हमारे पास अमेरिका और चीन और उसके सहयोगियों, रूस और इसी तरह के बीच संघर्ष है, जो देश भारत जैसे बीच में हैं, वे इससे लाभान्वित होने जा रहे हैं। बहरहाल, जिस तरह उन्होंने भारत की शान में कसीदे पढ़े हैं, उसके बाद कुछ सवालों को लेकर राजनीतिक बाजार गुलजार हो चुका है। जिसमें सबसे प्रमुखता से राहुल गांधी का मुद्दा उठाया जा रहा है। पिछले दिनों जिस तरह राहुल ने वैश्विक मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में भारत की बदहाली का जिक्र किया। पीएम मोदी की कार्यशैली पर सवाल उठाए। मौजूदा सरकार की कार्यप्रणाली की निंदा की।