अंकारा। भारत विरोधी तुर्किए के राष्ट्रपति रेसिप तैयप अर्दोआं पहले दौर में चुनाव जीतने में नाकाम रहे हैं। राष्ट्रपति चुनाव में अर्दोआं 50 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल नहीं कर सके। उनके मुकाबले मैदान में उतरे कमाल केलिकदारोग्लू ने विजय रथ रोक लिया। अर्दोआं की पार्टी एकेपी को 49.4 फीसदी और कमाल की पार्टी सीएचपी को 45 फीसदी वोट मिले। अब 28 मई को दोबारा वोटिंग होगी। कमाल केलिकदारोग्लू को तुर्किए का गांधी कहा जाता है। वो तमाम सरकारी और निजी क्षेत्र में उच्च पदों पर रहे हैं। रेसिप तैयप अर्दोआं 20 साल से तुर्किए के राष्ट्रपति हैं। इस बार उनको चुनावों में जोर का झटका लगा है।
अगर अर्दोआं दूसरे दौर में कमाल केलिकदारोग्लू से हार जाते हैं, तो ये उनके सियासी जीवन का अंत भी ला सकता है। कमाल के बारे में अर्दोआं ने जनता से कहा है कि उनके विरोधी अमेरिका और पश्चिमी देश परस्त हैं, लेकिन जनता का वोट बता रहा है कि कमाल को काफी समर्थन हासिल है। शहरों में तो अर्दोआं को ठीक-ठाक वोट मिले, लेकिन गांवों और कस्बों से कम ही लोगों का समर्थन उनको हासिल हुआ। ऐसे में 28 मई से पहले उनको एक बार फिर प्रचार के जरिए कमाल केलिकदारोग्लू को पछाड़ने का मौका मिल गया है।
कमाल केलिकदारोग्लू के पक्ष में तमाम वोटर इसलिए हैं, क्योंकि अर्दोआं की सरकार के दौर में तुर्किए में महंगाई चरम पर है। इसके अलावा देश में बीते दिनों आए भूकंप के दौरान सरकार की तरफ से ज्यादा कुछ नहीं किया जा सका था। भारत समेत दुनिया के देशों ने तब तुर्किए की मदद की थी। हालांकि, इसके बाद भी अर्दोआं की सरकार ने संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान का साथ दिया था। शानदार राष्ट्रपति आवास बनाने समेत अन्य कारणों से भी रेसिप तैयप अर्दोआं से जनता पहले काफी नाराज रही है।