वॉशिंगटन। धरती पर लगातार बोझ बढ़ रहा है। वहीं, प्राकृतिक कारणों से भी धरती पर तरह-तरह के दबाव पड़ रहे हैं। अब नेचर जर्नल में जो ताजा शोध प्रकाशित हुआ है, उससे एक नए तरह की दिक्कत धरती पर पड़ने का पता चला है। नेचर जर्नल में प्रकाशित ताजा शोध में बताया गया है कि धरती के भीतर का कोर धीमे घूमने लगा है। यानी इसकी घूर्णन गति कम हुई है। तो क्या ये धरती के विनाश की आहट है!, चलिए जानते हैं कि वैज्ञानिकों के ताजा शोध में इस बारे में क्या दावा किया गया है।
नेचर जर्नल में छपे शोध में बताया गया है कि 2010 के मुकाबले धरती के कोर की घूर्णन गति धीमी हो चुकी है। धरती के कोर की घूमने की गति धीमी होने से दिन छोटे होने की संभावना है। शोध करने वालों ने नेचर जर्नल में लिखा है कि कोर के घूमने की गति धीमी होने से एक दिन में एक सेकेंड के अंश तक बदलाव हो सकता है। धरती के कोर के घूमने यानी घूर्णन गति धीमी पड़ने के कारण ही साल 1972 से हर कुछ साल बाद समय में एक लीप सेकेंड जोड़ने का काम चल रहा है। भूकंप के तरंगों का विश्लेषण कर धरती के कोर की घूर्णन गति कम होने का शोध करने वाले दल के लेखक और अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया में अर्थ साइंसेज के प्रोफेसर जॉन विडेल हैं। जॉन विडेल ने कहा है कि जब उन्होंने धरती के कोर की घूर्णन गति कम होने के संकेत देखे, तो हैरान रह गए। इस शोध से पता चला कि कई दशक में धरती की आंतरिक कोर के घूमने की गति धीमी हो गई है।
धरती के कोर के बारे में वैज्ञानिकों का मानना है कि सतह के मुकाबले ये ज्यादा तेजी से घूमता है। धरती का कोर घूमने के कारण ही गुरुत्वाकर्षण बल पैदा होता है। इससे धरती चुंबकीय क्षेत्र भी बनाती है। माना जा रहा है कि धरती का भीतरी कोर सतह के मुकाबले उलट रहा है। एक वक्त ऐसा भी आ सकता है, जब धरती का कोर घूमना पूरी तरह बंद कर दे। इससे गुरुत्वाकर्षण भी नष्ट हो जाएगा और धरती का चुंबकीय क्षेत्र नष्ट होने से अंतरिक्ष में सैटेलाइट वगैरा स्थापित करने में भी दिक्कत होगी। पहले ही ये जानकारी सामने आ चुकी है कि धरती का प्राकृतिक सैटेलाइट यानी चंद्रमा उससे दूर जा रहा है। हालांकि, अभी घबराने की जरूरत नहीं है। धरती के कोर को घूमना बंद करने में अभी करोड़ों साल का वक्त लगने वाला है।