ढाका। बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना के खिलाफ दूसरा गिरफ्तारी वॉरंट जारी हुआ है। शेख हसीना पर आरोप है कि वो जब बांग्लादेश की पीएम थीं, उस वक्त उनके इशारे पर सैकड़ों लोगों को गायब किया गया। तमाम लोगों को अवैध तरीके से कैद रखने का आरोप भी शेख हसीना पर लगाया गया है। बांग्लादेश सरकार के मुताबिक शेख हसीना ने मानवता के खिलाफ अपराध किया है। जिसकी सजा उनको मिलनी चाहिए। शेख हसीना के खिलाफ गिरफ्तारी वॉरंट अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने जारी किया है। इससे पहले अक्टूबर 2024 में शेख हसीना और 45 अन्य आरोपियों के खिलाफ न्यायाधिकरण ने गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया था। तब सभी को 18 नवंबर 2024 तक पेश होने के लिए कहा गया था।
बांग्लादेश की सत्ता से हटने के बाद जान बचाने के लिए शेख हसीना अपनी बहन शेख रेहाना के साथ भारत आ गई थीं। अभी शेख हसीना भारत में ही हैं। भारत सरकार ने आधिकारिक तौर पर शेख हसीना को शरण नहीं दी है, लेकिन उनको दिल्ली में आवास और अन्य सुविधाएं दी जा रही हैं। कुछ दिन पहले ही बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत को नोट भेजकर शेख हसीना का प्रत्यर्पण करने के लिए कहा था। भारतीय विदेश मंत्रालय ने माना था कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण का नोट बांग्लादेश से मिला है, लेकिन इससे आगे कुछ और नहीं बताया गया था। माना जा रहा है कि शेख हसीना अपने प्रत्यर्पण के खिलाफ भारत के किसी कोर्ट में अपील करेंगी। प्रत्यर्पण तभी हो सकेगा, जबकि भारत का सुप्रीम कोर्ट तक से इसकी मंजूरी मिले। ऐसे में फिलहाल शेख हसीना का बांग्लादेश प्रत्यर्पण होता नहीं दिख रहा है।
बांग्लादेश में जून 2024 से छात्रों ने आरक्षण के खिलाफ आंदोलन शुरू किया था। इस आंदोलन के दौरान सैकड़ों लोगों की जान गई थी। फिर आंदोलन तेज होने के बाद शेख हसीना 5 अगस्त 2024 को ढाका छोड़कर भारत आ गई थीं। शेख हसीना के बांग्लादेश छोड़ने के बाद सेना ने सत्ता संभाली। जिसके कुछ दिन बाद नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस को मुख्य सलाहकार बनाते हुए बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनी। इसके बाद ही बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदुओं, बौद्ध और ईसाई समुदाय के लोगों पर जमकर हिंसा होने लगी। हिंसा की घटनाएं वहां लगातार जारी हैं।