
कोलंबो। श्रीलंका ने फिर साफ कहा है कि वो अपनी जमीन का इस्तेमाल भारत की सुरक्षा के खिलाफ नहीं होने देगा। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात के दौरान ये भरोसा दिलाया है। दिसानायके ने ये भी कहा कि समृद्ध श्रीलंका के सपने को साकार और लोगों की आकांक्षा पूरा करने के लिए भारत का आर्थिक समर्थन महत्वपूर्ण है। भारत से अक्षय ऊर्जा के निर्यात की संभावना भी उन्होंने जयशंकर से बातचीत के दौरान टटोली। दिसानायके ने कहा कि इससे उत्पादन लागत कम होगी और अतिरिक्त संसाधन बनाने में मदद भी मिलेगी। दिसानायके ने कहा कि श्रीलंका के लिए भारतीय पर्यटक अहम हैं। उन्होंने भारतीय पर्यटकों की संख्या में बढ़ोतरी की संभावना भी जताई।
जयशंकर ने श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके को आश्वासन दिया कि भारत की तरफ से पड़ोसी देश को विकास सहायता जारी रहेगी। उन्होंने कहा कि प्राथमिकता वाले प्रोजेक्ट के जरिए ये सहायता भारत देता रहेगा। जयशंकर ने श्रीलंका के कांकेसनथुरई बंदरगाह को आधुनिक बनाने के लिए 61.5 मिलियन डॉलर की मदद की पेशकश भी भारत की तरफ से की है। वहीं, 20 मिलियन डॉलर की 7 पूरी हो चुकी लाइन ऑफ क्रेडिट को अनुदान में बदलने की बात भी कही। भारत की तरफ से श्रीलंका को 22 रेलवे डीजल इंजन दिए जाएंगे। मछुआरों की गिरफ्तारी का मुद्दा भी विदेश मंत्री जयशंकर ने उठाया।
विदेश मंत्री जयशंकर ने श्रीलंका की पीएम डॉ. हारिनी से भी मुलाकात की। उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और अन्य प्रमुख नेताओं से भी मुलाकात की। अनुरा कुमारा दिसानायके के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद एस. जयशंकर पहले विदेशी नेता हैं, जो उनसे मिलने गए। भारत के लिए श्रीलंका में स्थायित्व और उसकी सुरक्षा बहुत अहम है। इसकी वजह ये भी है कि चीन लगातार श्रीलंका के जरिए भारत की जासूसी करने की कोशिश में जुटा रहता है। अनुरा कुमारा दिसानायके से जयशंकर की मुलाकात इसलिए भी अहम है, क्योंकि श्रीलंका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति की पार्टी जेवीपी का रुख भारत विरोधी रहा है। हालांकि, दिसानायके ने जो कहा, उससे भारत के प्रति उनका रुख बदला दिख रहा है। बता दें कि अनुरा कुमारा दिसानायके ने राष्ट्रपति चुनाव के प्रचार के दौरान ये तक कहा था कि पद पर आए तो अडानी के प्रोजेक्ट बंद करा देंगे।