नई दिल्ली। थाईलैंड में आज एक बड़े राजनीतिक घटनाक्रम में देश की संवैधानिक अदालत ने प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को उनके पद से हटा दिया है। कोर्ट के इस आदेश के बाद थाईलैंड की सियासत में उथल-पुथल शुरू हो गई है। अदालत ने नैतिक मूल्यों का पालन न करने के आरोप में पीएम श्रेथा थाविसिन पर कार्रवाई की है। थाईलैंड की संवैधानिक अदालत की 5 जजों की बेंच ने 5-4 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। 4 जज पीएम श्रेथा थाविसिन को पद से हटाने के पक्ष में थे जबकि एक जज का फैसला पीएम को पद से हटाने के पक्ष में नहीं था।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन ने अपने मंत्रिमंडल में एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया है जो अपराध में लिप्त रहा है। इस तरह से प्रधानमंत्री ने आपराधिक गतिविधि में शामिल व्यक्ति को मंत्रिमंडल में नियुक्त करके नियमों का उल्लंघन किया है। आपको बता दें कि पीएम श्रेथा ने अप्रैल में कैबिनेट फेरबदल करते हुए पिचिट चुएनबान को प्रधानमंत्री कार्यालय के मंत्री के रूप में नियुक्त किया था। पिचिट को साल 2008 में अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की जेल की सजा हुई थी। ऐसा आरोप है कि पिचिट ने थाईलैंड के पूर्व प्रधानमंत्री थाकसिन शिनवात्रा से जुड़े एक मामले में एक जज को 20 लाख बाहत (55 हजार अमेरिकी डॉलर) की रिश्वत देने की कोशिश की थी।
इस बात के सामने आने के बाद इस पर विवाद शुरू हुआ तो नियुक्ति के कुछ हफ्ते बाद ही पिचिट ने पद से इस्तीफा दे दिया। अदालत ने कहा कि पिचिट के अतीत के बारे में श्रेथा जानते थे लेकिन फिर भी उन्हें कैबिनेट मंत्री नियुक्त किया। यह मामला थाईलैंड के पूर्व सत्तारूढ़ जून्टा द्वारा नियुक्त पूर्व सीनेटरों के एक समूह द्वारा संवैधानिक अदालत के समक्ष उठाया गया था। अब थाईलैंड की संसद जब तक नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति नहीं करती तब तक कैबिनेट कार्यवाहक आधार पर बनी रहेगी। फिलहाल संसद को नए प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं की गई है।