
वॉशिंगटन। म्यांमार में शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का भूकंप आया था। इस भूकंप से म्यांमार में 1600 से ज्यादा लोगों की जान गई है। सैकड़ों लोग लापता हैं। ऐसे में मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। म्यांमार में आया भूकंप इतना ताकतवर था कि 900 किलोमीटर दूर थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक तक उसका असर देखा गया। बैंकॉक में भी कई इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। म्यांमार के मांडले के पास इस भूकंप का केंद्र था और शुक्रवार से अब तक भूकंप के 15 झटके लग चुके हैं। म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप के झटके चीन, भारत के पूर्वोत्तर और बांग्लादेश में भी महसूस हुए थे। म्यांमार में आए इस भूकंप के बारे में अमेरिका के भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने बताया है कि ये कितना ताकतवर था।
अमेरिका के भूवैज्ञानिक जेस फीनिक्स ने सीएनएन को बताया कि म्यांमार में आए विनाशकारी भूकंप की ताकत 334 परमाणु बम के विस्फोट से निकलने वाली ऊर्जा के बराबर थी। फीनिक्स ने कहा कि अब लंबे वक्त तक म्यांमार के मांडले और आसपास के इलाकों में भूकंप के झटके आ सकते हैं। जेस फीनिक्स के मुताबिक भारतीय टेक्टोनिक प्लेट लगातार यूरेशियन प्लेट से टकरा रही है। इसकी वजह से इस इलाके में भविष्य में भी तेज भूकंप का खतरा बना हुआ है। म्यांमार में आए भूकंप के कारण तमाम भवन ढह गए हैं। पुल भी ध्वस्त हुए हैं और कई जगह सड़कों पर चौड़ी दरारें भी पैदा हो गई हैं। पुलों और सड़कों के क्षतिग्रस्त होने के कारण म्यांमार में भूकंप से प्रभावित कई इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने में दिक्कत होने की भी खबर है।
धरती की सतह के नीचे कई टेक्टोनिक प्लेट हैं। इनमें भारतीय टेक्टोनिक प्लेट और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट भी हैं। भूगर्भ वैज्ञानिकों के अनुसार भारतीय टेक्टोनिक प्लेट लगातार उत्तर की ओर बढ़ रही है। वहां यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट से वो टकराती रहती है। जिसकी वजह से भूकंप आता है। भारतीय और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट की टक्कर करोड़ों वर्षों से जारी है। इन दोनों टेक्टोनिक प्लेट की टक्कर के कारण ही हिमालय पर्वत शृंखला भी बनी है।