
नई दिल्ली। दुनिया हैरान करने वाली चीजों से भरी पड़ी है। प्रकृति के कुछ ऐसे रहस्य हैं जो आज तक अनसुलझे हैं। कहीं पर अजीबो-गरीब प्रथाएं और रीति-रिवाज हैं जिसके बारे में जानकर लोग आश्चर्य में पड़ जाते हैं। कहीं तो पूरा का पूरा गांव ही रहस्यों से भरा होता है। लेकिन आज हम आपको एक ऐसे देश के बारे में बताने जा रहे हैं जो पूरी दुनिया को हैरान करता है। आइये जानते हैं आखिर कौन सी ऐसी बात है जो इस देश को बाकी देशों से अलग और विचित्र बनाती है। कैरिबियन देश बेलिजी के पास स्थित ‘कॉफी काय’ नाम का ये देश एक आइलैंड के रूप में दुनिया में विद्यमान है। ये देश इतना छोटा है कि उसे पैदल चलकर ही चंद मिनटों में पार किया जा सकता है। बताया जाता है कि ये दुनिया का पहला ऐसा देश है, जिसे कुछ लोगों ने पैसे जुटाकर खरीदा और इसे एक देश बना दिया। दरअसल, साल 2018 में मार्शल मायर (Marshall Mayer) नाम के एक व्यक्ति ने कुछ नया करने के इरादे से एक टापू खरीदने का फैसला लिया और इसके लिए उसने लोगों से ही पैसे इकट्ठे किए और लेट्स बाय एन आइलैंड (Lets Buy an Island) नाम से एक प्रोजेक्ट शुरु किया। इसके बाद उसने टापू खरीदने के लिए क्राउड फंडिंग (Crowd Funding to buy island) शुरू कर दी।
दिसंबर 2019 तक कुछ और लोग आगे आए और इस प्रोजेक्ट में रूचि दिखाने लगे। धीरे-धीरे ये रकम करीब 2 करोड़ के करीब पहुंच गई। इस रकम से उन्होंने कैरिबियन देश बेलिजी (Belize) के पास कॉफी काय (Coffee Caye) नाम के आइलैंड को खरीद लिया। ये आइलैंड करीब 1.2 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है। कॉफी बीन शेप का होने की वजह से इसका नाम कॉफी काय पड़ा है। मार्शल मायर ने केवल बेलिजी की प्रॉपर्टी में इंवेस्ट ही नहीं किया बल्कि एक नेशन बिल्डिंग प्रोजेक्ट की भी शुरूआत की। धीरे-धीरे उन्होंने इस आइलैंड को एक देश मानना शुरू कर दिया और इसका नाम प्रिंसिपैलिटी ऑफ आइलैंडिया (Principality of Islandia) रख दिया। इतना ही नहीं अब इस देश की अपनी लोकतांत्रिक सरकार, राष्ट्रीय ध्वज और नेशनल एंथम भी है। अब इस माइक्रोनेशन पर करीब ढ़ाई सौ नागरिक रहते हैं, जिन्होंने 1500 रुपये अदा करके इस देश की नागरिकता हासिल की है।
इसके अलावा, इस टापू के शेयर भी खरीदे जा सकते हैं, जिनकी कीमत 2 लाख रुपये है। शेयर खरीदने के बाद उनके पास वोटिंग का अधिकार भी आ जाता है। यहां पर सिंगल-यूज प्लास्टिक पूरी तरह से बैन करने की योजना बनाई जा रही है। गौरतलब है कि स्वयं को स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करने वाले इन माइक्रोनेशन्स को दुनिया की अन्य सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मान्यता नहीं प्राप्त होती है।