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Sweden: इस मुस्लिम शख्स को मिली थी बाइबल-तोराह जलाने की इजाजत लेकिन…!

इसके साथ ही उन्होंने अपने इस फैसले के बदलने के साथ ही उन सभी लोगों को कड़ी हिदायत भी दे डाली है, जो कि कुरान जलाए जाने की पैरोकारी कर रहे थे या फिर इसकी मुखालफत करने से गुरेज कर रहे थे।

नई दिल्ली। अगर आपकी याददाश्त तनिक भी दुरूस्त हो तो आपको पता ही होगा कि बीते दिनों स्वीडन में एक शख्स ने खुलेआम कुरान को जला दिया था, जिसकी दुनियाभर के मुस्लिम देशों ने आलोचना की थी। इसे लेकर स्वीडन में भी भारी बवाल हुआ था। स्वीडन में रहने वाले मुस्लिमों ने इसके विरोध में अपना आक्रोश प्रकट किया था और आरोपी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की भी मांग की थी, लेकिन अफसोस आरोपी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, जिसे लेकर कई महीनों तक देशभर में तनाव का माहौल रहा। हालांकि, तनाव का यह माहौल अभी-भी स्वीडन में बना हुआ है, लेकिन वहां रहने वाला मुस्लिम शख्स अहमद अलौश सुर्खियों में आ गया है। आइए, आगे आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, बीते दिनों अहमद अलौश को स्वीडन में जारी तनाव के बीच ईसाइयों की पुस्तक बाइबल और यहुदियों की पुस्तक तोराह को जलाने की अनुमति मिली थी, लेकिन आखिरी वक्त में अहमद ने अपना फैसला बदल दिया और दोनों धार्मिक पुस्तकों को जलाने से इनकार कर दिया। हालांकि, एक पल के लिए लगा था कि अहमद दोनों ही धार्मिक पुस्तकों के आग के हवाले कर देगा, क्योंकि वो कई मर्तबा स्वीडन में कुरान जलाए जाने को लेकर अपना आक्रोश जाहिर कर चुका था। इतना ही नहीं, जब स्वीडन से यह मुनादी पीटी की गई कि अहमद कुरान को जलाने जा रहा है, तो इस पर इस्राएल ने आपत्ति दर्ज कराई थी। वहीं, स्वीडन में नियत समय पर लोगों का जमघट भी एकत्रित हो गया था कि वो अहमद द्वारा बाइबल ओर तोराह जलाने की घटनाओं को अपनी आंखों से देखें, लेकिन अहमद ऐन वक्त पर अपना फैसला वापस ले लिया, जिसकी अब कई लोग तारीफ भी कर रहे हैं।

इसके साथ ही उन्होंने अपने इस फैसले के बदलने के साथ ही उन सभी लोगों को कड़ी हिदायत भी दे डाली है, जो कि कुरान जलाए जाने की पैरोकारी कर रहे थे या फिर इसकी मुखालफत करने से गुरेज कर रहे थे। अहमद ने कहा कि चलिए मान लेता हूं कि अभिव्यक्ति की आजादी के तहत आपको इस्लाम और कुरान की भत्सर्ना का हक मिल गया है, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी की भी अपनी एक सीमा निर्धारित है। आपको अभिव्यक्ति के अधिकार ने इतनी भी आजादी नहीं दे दी है कि आप किसी भी धार्मिक पुस्तक को आगे के हवाले ही कर दें। बहरहाल, अभी अहमद द्वारा उठाए गए इस कदम की खूब चर्चा हो रही है। ऐसे में बतौर पाठक आपका इस पूरे मसले पर क्या कुछ कहना है। आप हमें कमेंट कर बताना बिल्कुल भी मत भूलिएगा।