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जम्मू-कश्मीर का मुद्दा UNSC में उठाने पर चीन की हुई किरकिरी, परिषद के सदस्य देशों ने कही ये बात

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर चीन अलग-थलग पड़ गया। बैठक का कोई नतीजा न निकले, इसके लिए कई देश अमेरिका के साथ खड़े नजर आए।

नई दिल्ली। पाकिस्तान के सहारे चीन जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने में लगा हुआ है। लेकिन उसकी इस कोशिश को जोरदार झटका तब लगा जब उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में किरकिरी झेलनी पड़ी। बता दें कि पाकिस्तान ने अपने सदाबहार दोस्त चीन की मदद से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में इस मसले को उठाया था।

UNSC Meeting

चीन ने एकतरफा फैसला लेकर जम्मू कश्मीर के दर्जे में बदलाव को अवैध बताया, लेकिन उसे मुंह की खानी पड़ी। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के लगभग हर सदस्य ने कह दिया कि यह द्विपक्षीय मसला है। इसे भारत और पाकिस्तान बातचीत से सुलझाएं। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट कर कहा कि पाकिस्तान का एक और प्रयास विफल हो गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आज की अनौपचारिक बैठक में लगभग सभी देशों ने रेखांकित किया कि जम्मू कश्मीर द्विपक्षीय मुद्दा है और यह परिषद के ध्यान देने लायक नहीं है

सूत्रों के मुताबिक अमेरिका ने बगैर किसी नतीजे के बैठक का दबाव डाला था, जिसपर चीन भी सहमत हुआ। अन्य सभी सदस्य देशों ब्रिटेन, जर्मनी, डोमिनिकन रिपब्लिक, वियतनाम, इंडोनेशिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनेडाइंस, फ्रांस, एस्टोनिया और बेल्जियम ने कहा कि यह द्विपक्षीय मुद्दा है। इसे भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बात के जरिए सुलझाया जाना चाहिए।

15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर चीन अलग-थलग पड़ गया। बैठक का कोई नतीजा न निकले, इसके लिए कई देश अमेरिका के साथ खड़े नजर आए। कुछ देशों ने शिमला समझौते का उल्लेख किया, तो कुछ देशों ने ऐसे मुद्दे परिषद में नहीं उठाने की भी ताकीद की।

सूत्रों के मुताबिक एओबी बगैर किसी रिकॉर्ड के बंद अनौपचारिक सत्र है। सूत्रों ने बताया कि एओबी को रोका नहीं जा सकता। परिषद का स्थायी सदस्य होने के बावजूद खुद चीन हांगकांग के मसले पर चर्चा बंद नहीं करा सका था।

PM Modi and jinping

गौरतलब है कि पाकिस्तान में चीनी दूत झांग जून ने कहा था कि चीन, कश्मीर को लेकर गंभीर है। कश्मीर के हालात में कोई सुधार नहीं हुआ है। पाकिस्तान में चीनी दूत ने कहा था कि हम एकतरफा कार्रवाई का विरोध करते हैं, इससे स्थिति जटिल होगी। चीनी विदेश मंत्रालय ने भी इसी तरह की टिप्पणी की थी। भारत ने इसे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप बताते हुए कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि चीन का इसपर कोई नियंत्रण नहीं है। उन्होंने चीन को अन्य देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप न करने की सलाह दी थी।