
नई दिल्ली। अमेरिका की फेडरल कोर्ट ने विदेशी छात्रों को बड़ी राहत देते हुए ट्रम्प प्रशासन द्वारा अमेरिकी विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले विदेशी छात्रों के वीजा रद्द करने और उन्हें निर्वासित करने के आदेश पर रोक लगा दी है। जज जेफरी व्हाइट ने ट्रंप प्रशासन के फैसले की निंदा की और इसे विघटनकारी तथा गैरकानूनी करार दिया। अदालत का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में विदेशी स्टूडेंट्स के एडमिशन पर रोक लगा दी है। हालांकि अदालत ने हार्वर्ड मामले में सीधे तौर पर कोई आदेश नहीं दिया मगर ऐसा माना जा रहा है कि अदालत के इस फैसला का असर उस पर भी पड़ेगा।
आपको बता दें कि अमेरिका के होमलैंड सुरक्षा विभाग ने कहा था कि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी ने अपने विदेशी छात्रों के बारे में रिकॉर्ड देने से मना कर दिया इसलिए यह फैसला लिया गया। नोएम ने यह भी कहा था कि अगर हार्वर्ड अपने स्टूडेंट एंड एक्सचेंज विजिटर प्रोग्राम (एसईवीपी) को फिर से जारी चाहता है तो 72 घंटे में विदेश स्टूडेंट्स के अनुशासनात्मक संबंधी रिकॉर्ड जमा करने होंगे। नोएम की ओर से इस संबंध में जारी पत्र में कहा गया था कि प्रशासन हार्वर्ड को अपने परिसर में हिंसा, यहूदी-विरोधी भावना को बढ़ावा देने और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ समन्वय करने के लिए जिम्मेदार ठहरा रहा है। विश्वविद्यालयों के लिए विदेशी छात्रों को दाखिला देना और उनके उच्च शिक्षण शुल्क से लाभ उठाना एक विशेषाधिकार है, न कि अधिकार, जिससे उनके बहु-अरब डॉलर के बंदोबस्त को बढ़ाने में मदद मिले।
नोएम के अनुसार हार्वर्ड के पास सही काम करने का भरपूर मौका था। इसने मना कर दिया। कानून का पालन करने में विफल रहने के परिणामस्वरूप उन्होंने अपना छात्र और विनिमय आगंतुक कार्यक्रम प्रमाणन खो दिया है। इसे देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों के लिए एक चेतावनी के रूप में लें। हालांकि इस फैसले का असर मौजूदा उन छात्रों पर पड़ता जिन्होंने अभी तक ग्रेजुएशन डिग्री पूरी नहीं की है। जिन छात्रों ने इस सेमेस्टर में अपनी डिग्री पूरी कर ली है उन्हें ग्रेजुएशन करने की अनुमति दी गई थी।