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What is Daily Maverick: PM मोदी के खिलाफ नफरती एजेंडे के तहत फेक न्यूज़ फैलाने वाली वेबसाइट का भंड़ाफोड़

What is Daily Maverick: डेली मेवरिक की ये रिपोर्ट सामने आते ही भारत में बैठी वामपंथियों की एंटी मोदी लॉबी, कथित फैक्ट चेकर्स और डिजाइनर पत्रकार भी तुरंत एक्टिव हो गए, सोशल मीडिया पर इस वेबसाइट की रिपोर्ट को उन्होंने इस झूठ को जमकर प्रचारित किया। लेकिन डेली मेवरिक और इन डिजाइनर पत्रकारों का ये फेक न्यूज वाला बुलबुला फोड़ने का काम खुद दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने किया है।

नई दिल्ली। फेक न्यूज़, जब फैलती है तो बहुत दूर तक, बहुत तेज और गहरा असर करती है। एक कहावत आपने भी जरूर सुनी होगी कि सच जबतक जूते पहनता है तब तक झूठ पूरी दुनिया का चक्कर लगा चुका होता है। फेक न्यूज़ में तथ्य नहीं होते फिर भी वो जंगल की आग की तरह तेज रफ्तार से फैलती है। बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर भी एक ऐसी ही फेक न्यूज़ यानी झूठी खबर फैलाई गई। बता दें कि पीएम मोदी ब्रिक्स समिट में हिस्सा लेने दक्षिण अफ्रीका गए हुए हैं। वे भारतीय समयानुसार 22 अगस्त की शाम को जोहान्सबर्ग पहुंचे थे। वहां तय प्रोटोकॉल के हिसाब से ही उनका स्वागत भी किया गया लेकिन एक दक्षिण अफ्रीकी न्यूज़ वेबसाइट डेली मैवरिक ने एक रिपोर्ट छापी जिसमें बताया गया कि प्रधानमंत्री मोदी जब जोहान्सबर्ग एयरपोर्ट पहुंचे, तो उनका स्वागत करने के लिए वहां दक्षिण अफ्रीकी सरकार का कोई छोटा मंत्री ही मौजूद था जिससे नाराज होकर पीएम मोदी प्लेन से नहीं उतरे और जबतक दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति के कहने पर उपराष्ट्रपति उनका स्वागत करने एयरपोर्ट नहीं गए तब तक पीएम मोदी अपने प्लेन में ही रहे।

इस वेबसाइट का दावा था कि दक्षिण अफ्रीकी सरकार द्वारा भारत के प्रधानमंत्री को रिसीव करने के लिए एक कैबिनेट मंत्री को भेजे जाने पर पीएम ने अपना विमान छोड़ने से इनकार कर दिया था। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक जब भारत ने इसको लेकर विरोध जताया गया। तो उसके बाद दक्षिण अफ्रीका के उपराष्ट्रपति पॉल मशाटिले को एयरपोर्ट पर पीएम मोदी के स्वागत के लिए भेजा गया। जबकि इसके उलट राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा व्यक्तिगत रूप से चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के सोमवार रात आगमन पर उनका स्वागत करने के लिए मौजूद थे।

डेली मेवरिक की ये रिपोर्ट सामने आते ही भारत में बैठी वामपंथियों की एंटी मोदी लॉबी, कथित फैक्ट चेकर्स और डिजाइनर पत्रकार भी तुरंत एक्टिव हो गए, सोशल मीडिया पर इस वेबसाइट की रिपोर्ट को उन्होंने इस झूठ को जमकर प्रचारित किया। लेकिन डेली मेवरिक और इन डिजाइनर पत्रकारों का ये फेक न्यूज वाला बुलबुला फोड़ने का काम खुद दक्षिण अफ्रीकी सरकार ने किया है।

दक्षिण अफ्रीकी उपराष्ट्रपति पॉल मशाटाइल के प्रवक्ता वुकानी ने बयान जारी कर बताया कि डेली मैवरिक की  रिपोर्ट पूरी तरह से झूठ करार दिया है। उपराष्ट्रपति ने प्लान के मुताबिक ही पीएम मोदी का स्वागत किया। उन्हें पहले से ही पता था कि इंडियन पीएम आ रहे हैं और वो उनका स्वागत करेंगे। इसके साथ ही ये भी दावा किया गया कि उन्हें अचानक नहीं भेजा गया। डेली मैवरिक जानबूझकर गुमराह करने की कोशिश कर रहा है। ये बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी कड़े शब्दों में निंदा की जाती है।

इस फर्जी रिपोर्ट को छापने के बाद डेली मेवरिक वेबसाइट ने विक्टिम कार्ड भी खेलना शुरू कर दिया। उसने आरोप लगाया कि उस पर भारत से डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइल ऑफ सर्विस यानि DDoS हमला किया गया है। ये एक तरह का साइबर हमला होता है जिसे किसी वेबसाइट या उसके सर्वर पर बड़ी मात्रा में ट्रैफिक डालने के लिए डिजाइन किया गया है ताकि ये यूजर्स के लिए अनुपलब्ध हो जाए। ये वेबसाइट पहले तो फेक न्यूज फैलाती है और फिर साइबर अटैक वाला विक्टिम कार्ड खेलकर आरोप भी भारत पर ही लगाती है, यानि चोरी ऊपर से सीनाजोरी।

अब इस वेबसाइट का काला चिट्ठा भी मैं आपके सामने खोलना चाहता हूं जिससे आपको ये समझ में आ जाएगा कि पीएम मोदी से जुड़ी झूठी खबर फैलाने के लिए इस वेबसाइट को क्यों चुना गया। दरअसल, डेली मेवरिक अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के फाउंडेशन ओपन सोसायटी द्वारा फंडेड वेबसाइट है। इसके अलावा पियरे ओमडियार भी इस वेबसाइट से जुड़ा हुआ है जिसके कथित चैरिटी संस्थान को भारत में पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके अलावा एक और मोदी विरोधी गैंग की सदस्य ग्लोबल मीडिया की हेड खदीजा पटेल डेली मेवरिक की पूर्व कर्मचारी है और वामपंथी राणा अय्यूब की करीबी भी है। जैसी ही ये फेक न्यूज आई तब राणा अय्यूब और खदीजा से कनेक्शन रखने वाले स्वयंभू फैक्ट चैकर मोहम्मद जुबैर ने इसे ट्वीट किया। डेली मेवरिक के एडिटर इन चीफ ब्रैंकोब्रिक एक पूर्व सीए हैं, ब्रैंको के कुख्यात अपराधी गुप्ता बंधुओं से भी संबंध बताए जाते हैं। यानि कुल मिलाकर ये फेक न्यूज एक सोची समझी चाल के तहत दुनिया में भारत और पीएम मोदी की चमकती छवि को नुकसान पहुंचाने के मकसद से की गई एक ओछी हरकत थी। हालांकि भारत सरकार की तरफ से अभी तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।