
नई दिल्ली। हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में जब से कनाडा ने भारत के शामिल होने की बात कही है, तब से दोनों देशों के बीच विवाद अपने चरम पर पहुंच चुका है। हालांकि, भारत ने कनाडा के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है, लेकिन अब इस पूरे विवाद में अमेरिका की एंट्री हुई है। कनाडा में नियुक्त अमेरिकी राजनयिक ने कहा कि बीते दिनों कनाडा को फाइव आइज द्वारा एक खुफिया रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई थी, जिसके बाद उसने भारत पर निज्जर की हत्या में शामिल होने के आरोप लगाए थे। आज इस संदर्भ में एनवाइटी में अमेरिकी राजनयिक का बयान भी छपा है। वहीं, अब लोगों के जेहन में बार-बार यही सवाल उठ रहा है कि आखिर फाइव आईज संगठन क्या है?, तो आइए आगे कि रिपोर्ट में हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
बता दें कि फाइव देशों का संगठन है ,जिसमें पांच देश शामिल हैं। यह एक प्रकार का खूफिया गठबंधन है, जिसका स्थापना वर्ष 1941 में हुई थी। इस संगठन में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और ब्रिटेन शामिल है। यह संगठन यूके यूएस समझौते में भी शामिल है। फाइव आइज संगठन में शामिल सभी देश एक-दूसरे को खूफिया जानकारियां उपलब्ध कराते हैं। इसे दुनिया के सबसे घनिष्ठ समझौते वाला देश माना जाता है। ये पांचों देश अलग-अलग समाजों से आते हैं। इन देशों को मानवाधिकारों पर अपना रुख बिल्कुल स्पष्ट किया हुआ है। खास बात यह है कि इन पांचों देशों की भाषा एक जैसी है। जिससे इन्हें आपस में जानकारी साझा में करने में आसानी होती है। इन पांचों देशों की सांस्कृति भी काफी हद तक मिलती जुलती है। यह भी एक कारण है कि आज की तारीख में इस संगठन में शामिल देशों के बीच घनिष्ठ संबंध हैं।
इस गठबंधन में शामिल सभी देश राष्ट्रीय हितों के लिए काम करते हैं। सार्वजनिक होने के बाद इस गठबंधन के नाम में भी बड़ा बदलाव देखने को मिला है। बता दें कि पहली बार दुनिया के सामने आने के बाद इसे नाइन आइज और 14 आइज भी कहा गया था। बहरहाल, अब आगामी दिनों में वैश्विक मंच पर इस गठबंधन की भूमिका कैसी रहती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। बता दें कि बीते दिनों खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की सर्रे स्थित गुरुद्वारे के पास गोल मारकर हत्या कर दी गई थी। वहीं, हत्या के तीन महीने बाद ट्रूडो ने भारत पर इसे लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। बीते दिनों जी-20 सम्मेलन में शिरकत करने दिल्ली पहुंचे ट्रूडो के समक्ष पीएम मोदी ने खालिस्तानी आतंकवादी और कनाडा में मंदिरों पर हो रहे हमलों का मुद्दा उठाया था, लेकिन उनकी ओर से कोई संतुष्टिजनक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।