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Who is Ajay Banga: कौन हैं भारतीय मूल के अजय बंगा, जिनका विश्व बैंक में निर्विरोध अध्यक्ष बनना लगभग तय है

Who is Ajay Banga: इस नामांकन में मास्टरकार्ड इंक के पूर्व सीईओ अजय बंगा द्वारा पद के लिए नामांकन किया गया है। बग्गा का अध्यक्ष बनना इसलिए भी तय है क्योंकि उनके खिलाफ अभी तक इस पद के लिए किसी ने नामांकन नहीं किया है। अब अध्यक्ष पद की प्रतियोगिता में अकेले उम्मीदवार होने के कारण उनका विश्व बैंक में निर्विरोध अध्यक्ष बनना लगभग तय है।

नई दिल्ली। विश्व बैंक में अब अध्यक्ष पद पर भारतीय मूल के अजय बंगा का नजर आना लगभग तय माना जा रहा है। वर्तमान अध्यक्ष डेविड मलपास द्वारा करीब 1 एक साल पहले ही पद छोड़ने का ऐलान किया था। ऐसे में अब नए अध्यक्ष को लेकर नामांकन एक दिन पहले यानी बुधवार को हो चुके हैं। इस नामांकन में मास्टरकार्ड इंक के पूर्व सीईओ अजय बंगा द्वारा पद के लिए नामांकन किया गया है। बग्गा का अध्यक्ष बनना इसलिए भी तय है क्योंकि उनके खिलाफ अभी तक इस पद के लिए किसी ने नामांकन नहीं किया है। अब अध्यक्ष पद की प्रतियोगिता में अकेले उम्मीदवार होने के कारण उनका विश्व बैंक में निर्विरोध अध्यक्ष बनना लगभग तय है।

Ajay Banga

पुणे में हुआ है बग्गा का जन्म

वर्ल्ड बैंक के अध्यक्ष पद के लिए नामांकन करने वाले मास्टरकार्ड के पूर्व सीईओ अजय बंगा का पुणे से खास नाता रखते हैं। उनका जन्म पुणे में हुआ है। इसके बाद उन्होंने 70 के दशक में शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से प्राइमरी तक की शिक्षा ग्रहण की। 10 नवंबर 1959 को जन्मे अजय बंगा 63 साल के हैं। उनके पिता का नाम हरभजन सिंह बंगा है जो कि आर्मी में अफसर थे। वहीं, उनकी मां का नाम जसवंत बंगा है। अजय बंगा की पत्नी रितु बंगा हैं और उनके बच्चों का नाम अदिति बंगा, Jojo Banga है।

Ajay Banga

अमेरिकी उम्मीदवार का ही रहा है अब तक अधिकार

मास्टरकार्ड के पूर्व सीईओ अजय बंगा द्वारा पद के लिए नामांकन से पहले अभी तक अमेरिकी उम्मीदवारों का ही इसपर अधिकार रहा है। ब्लूमबर्ग की खबर की मानें तो साल 2019 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा डेविड मालपास को इस पद के लिए चुना था। मालपास इस पद से लिए निर्विरोध ही चुने गए थे। इसके बाद से ही पद पर अमेरिकी उम्मीदवार का ही चुनाव हुआ। हालांकि अब मालपास के पद छोड़ने के ऐलान के बाद अजय बंगा का इस पद पर विराजमान होना तय माना जा रहा है। अगर ऐसा होता है तो ये न सिर्फ सेंट एडवर्ड स्कूल बल्कि शिमला और हिमाचल का भी सिर गर्व से ऊंचा करने का पल रहेगा।