newsroompost
  • youtube
  • facebook
  • twitter

S Jaishankar: रूस से दोस्ती की वजह से क्या भारत पर प्रतिबंध लगाएगा अमेरिका?, विदेश मंत्री के जवाब ने अमेरिका की हेकड़ी निकाल दी

S Jaishankar: अमेरिका रूस से अहम रक्षा सौदे करने वाले देशों पर विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाता है। जब भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम का सौदा किया था, तब अमेरिका की ओर से ऐसे संकेत मिले थे कि अमेरिका भारत पर इस कानून के तहत प्रतिबंध लगा सकता है,

नई दिल्ली। अमेरिका के भारत पर बढ़ते तमाम दबावों के बावजूद भारत का रूख रूस के प्रति वैसा का वैसा ही है।  रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिका भारत पर लगातार कई प्रतिबंध लगाने की तैयारी कर रहा है। भारत ने अमेरिका द्वारा लगाए जा रहे किसी भी प्रतिबंध के डर को दरकिनार कर अपना पक्ष स्पष्ट तरीके से रख दिया है। भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बुधवार को इस बारे में स्पष्ट रूप से कहा कि “अगर रूस से मिसाइल सिस्टम की खरीद को लेकर अमेरिका भारत पर CAATSA कानून के तहत  प्रतिबंध लगाना चाहता है तो निश्चित रूप से लगा सकता है, भारत को अपनी  सुरक्षा की परवाह है। बता दें, CAATSA  अमेरिका का एक कानून है जिसके तहत अमेरिका रूस से अहम रक्षा सौदे करने वाले देशों पर विभिन्न तरह के प्रतिबंध लगाता है। जब भारत ने रूस से एस-400 मिसाइल सिस्टम का सौदा किया था, तब अमेरिका की ओर से ऐसे संकेत मिले थे कि अमेरिका भारत पर इस कानून के तहत प्रतिबंध लगा सकता है, लेकिन उस समय अमेरिका ने भारत पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया था। यूक्रेन और रूस के युद्ध के सिलसिले में भारत के अमेरिकी पक्ष में न जाने से ऐसा कहा जाने लगा है, कि अब अमेरिका CAATSA के तहत भारत पर प्रतिबंध लगा सकता है। ऐसी चर्चाओं के चलते विदेश मंत्री ने कहा कि ‘ये उनका कानून है और उन्हें जो करना है, वो करेंगे ही।’ इस बयान के साथ ही जयशंकर ने स्पष्ट कर दिया  कि भारत को अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह नहीं है और वो अपनी  सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए हर कदम उठाएगा। गौरतलब है, कि एस जयशंकर इस समय फिलहाल भारत-अमेरिका द्विपक्षीय वार्ता के सिलसिले में अमेरिका में मौजूद हैं और उन्होंने कई मुद्दों पर करारा जवाब दिया जिससे उनकी काफी तारीफ हो रही है।

यही नहीं, उन्होंने रूस से भारत की तेल खरीदी पर अमेरिक के दबाव का भी जबरदस्त जवाब दिया है। दरअसल, रूस पर अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों बावजूद भारत का रूस से तेल खरीदना जारी है, जिसे लेकर अमेरिका भारत पर लगातार तेल न खरीदने का दबाव बना रहा है। इस बात का जवाब देते हुए एस जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा मंत्री ऑस्टिन लॉयड के साथ सोमवार को हुई एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, कि ”भारत पर उंगली उठाने से पहले यूरोप की तरफ ध्यान दिया जाए। अगर आपको वाकई रूस से भारत की ऊर्जा खरीद की चिंता है, तो मेरा सुझाव है कि आपको यूरोप पर ध्यान देना चाहिए। हम अपनी ऊर्जा सुरक्षा के लिए रूस से थोड़ी ही मात्रा में ऊर्जा आयात करते हैं, लेकिन आप आंकड़ें भी देखिए, हम जितना तेल रूस से एक महीने में नहीं खरीदते, उससे कहीं अधिक तेल यूरोप रूस से एक दिन में खरीद लेता है।” इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने भारत के मानवाधिकार रिकॉर्ड पर सवाल उठाते हुए कहा कि ”अमेरिका भारत में मानवाधिकार  उल्लंघनों पर लगातार कड़ी नजर बनाए हुए है और ‘हम अपने मानवाधिकार के साझे मूल्यों पर भारत के संपर्क में लगातार रहते हैं।”

एंटनी ब्लिंकन की इस टिप्पणी की धज्जियां उड़ाते हुए एस जयशंकर ने कहा, कि हालांकि 2+2 वार्ता में मानवाधिकार मुद्दे पर चर्चा नहीं हुई, लेकिन अगर इस मुद्दे पर कभी चर्चा होती है, तो भारत अपनी राय रखने में जरा भी पीछे नहीं हटेगा। उन्होंने आगे कहा कि दुनिया के लोग भारत के बारे में अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका पर निशाना साधते हुए कहा कि भारत भी अमेरिका में मानवाधिकारों की स्थिति पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए है। जयशंकर ने कहा, ” हर किसी को अधिकार है कि वो हमारे बारे में एक विचार रख सकता है। लेकिन हमें भी उनके बारे में उसी तरह से अपना नजरिया रखने का पूरा अधिकार है।” इसके अलावा उन्होंने कहा कि ”हमें उन हितों के अलावा लॉबियों और वोट बैंकों पर भी बोलने का अधिकार है, जो इस ऐसी बातों को बढ़ावा देते हैं। हम इस मामले में बिल्कुल भी शांत नहीं बैठेंगे। दूसरों के मानवाधिकारों को लेकर भी हमारी अपनी एक राय है।”

कौन हैं एस. जयशंकर?

विदेश में भारत का सीना गर्व से चौड़ा करने वाले एस. जयशंकर या सुब्रह्मण्यम जयशंकर का जन्म 9 जनवरी 1955 को दिल्ली में हुआ था। दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से पढ़ाई करने वाले एस. जयशंकर देश की 17वीं लोकसभा में विदेश मंत्री हैं। जनवरी 2015 से जनवरी 2018 तक वो भारत सरकार के विदेश सचिव भी रह चुके हैं। पद्मश्री सम्मानित जयशंकर अमेरिका और चीन में राजदूत रह चुके हैं। जयशंकर की हिन्दी के अलावा तमिल, अंग्रेजी, रूसी, मंदारिन, जापानी, हंगेरियन भाषाओं पर भी अच्छी पकड़ है।