ढाका। बांग्लादेश में आज अंतरिम सरकार का गठन होना है। नोबल सम्मान विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में 15 सदस्यीय दल सरकार का कामकाज देखेगा। इस दल में सेना के भी कई अफसर होंगे, लेकिन बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनने की राह में संविधान का बड़ा पेच भी फंसा है। साथ ही मुहम्मद यूनुस के साथ जो 14 अन्य लोग सरकार का कामकाज देखेंगे, उनके नाम भी तय नहीं हो सके हैं। बांग्लादेश में अंतरिम सरकार की राह में संविधान का पेच इस वजह से लगा है, क्योंकि इसमें इसका कोई प्रावधान नहीं है। बांग्लादेश के संविधान में सिर्फ निर्वाचित सरकारों के गठन के बारे में ही बताया गया है।
बांग्लादेश के संविधान में कहा गया था कि निर्वाचित सरकार न होने पर कार्यवाहक सरकार बनाई जा सकती है। इस प्रावधान को बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही असंवैधानिक घोषित कर दिया। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बांग्लादेश की तत्कालीन शेख हसीना सरकार ने संविधान में 15वां संशोधन किया था और कार्यवाहक सरकार संबंधी प्रावधान को हटाया था। अब संविधान में न तो कार्यवाहक सरकार का जिक्र है और न ही अंतरिम सरकार के बारे में कहा गया है। बांग्लादेश में संसद भी भंग कर दी गई है। ऐसे में संविधान संशोधन भी नहीं किया जा सकता। इस वजह से मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार का गठन खटाई में भी पड़ सकता है।
चर्चा इसकी भी है कि बांग्लादेश में संवैधानिक संकट की स्थिति में सेना पूरे देश की कमान संभाल सकती है। बांग्लादेश में 1971 की आजादी के बाद से कई बार सेना का शासन रहा है। इस बार भी सेना ने पीएम रहीं शेख हसीना को समर्थन देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद शेख हसीना को अपनी बहन के साथ बांग्लादेश छोड़कर भारत में शरण लेनी पड़ी है। खास बात ये है कि बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल जमान, शेख हसीना की फुफेरी बहन के पति हैं। इसी साल जून में जनरल जमान को शेख हसीना ने सेना प्रमुख बनाया था।