
नई दिल्ली। बांग्लादेश में एक दुर्गा मंदिर को बुलडोजर चलाकर ध्वस्त किए जाने के मामले में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई थी। जिसके बाद अब मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस पर सफाई दी है। अंतरिम सरकार का कहना है कि यह मंदिर बिना किसी इजाजत के रेलवे की जमीन पर बनाया गया था इसलिए इसे गिराया गया। मंदिर गिराए जाने के विरोध में बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों ने बड़ी संख्या में एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन किया है।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि पिछले साल दुर्गा पूजा के दौरान यहां हिंदू समुदाय के लोगों ने बिना अनुमति लिए रेलवे की जमीन पर अस्थायी पूजा मंडप बनाया था। रेलवे ने दुर्गा पूजा के लिए अस्थाई रूप से मंडप बनाने की उस समय दे दी थी लेकिन यह स्पष्ट कहा था कि कार्यक्रम के बाद मंडप को वहां से हटा दिया जाएगा। मगर दुर्गा पूजा समाप्ति के बाद आयोजकों ने मंडप को स्थायी बना दिया और वहां पर मूर्ति स्थापित कर दी। जिसके बाद रेलवे के अधिकारियों ने अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के लोगों के साथ बैठकर बातचीत की और इस संबंध में नॉटिफिकेशन जारी कर रेल पटरियों के आसपास से अतिक्रमण को हटाने की अपील की। रेलवे लाइन के आस पास बनी दुकानों समेत अनाधिकृत रूप से बनाए गए सभी प्रतिष्ठानों को हटाने का आदेश दिया गया, जिसके बाद यह कार्रवाई की गई।
Watch: On the demolition of the Durga Mandir in Dhaka, MEA Spokesperson Randhir Jaiswal says, “We understand that extremists were clamoring for the demolition of the Durga temple in Khilkhet, Dhaka. The interim government, instead of providing security to the temple, projected… pic.twitter.com/4lRgCLjs8G
— IANS (@ians_india) June 26, 2025
रेलवे ने अपनी सफाई में यह भी कहा कि मंदिर में जो दुर्गा माता की मूर्ति स्थापित की गई थी उसे स्थानीय हिंदुओं के साथ मिलकर बालू नदी में श्रद्धापूर्वक विसर्जित कर दिया गया है। आपको बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि हिंदू अल्पसंख्यकों और उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा करना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की जिम्मेदारी है लेकिन यह घटना दर्शाती है कि सरकार ऐसा करने में असमर्थ है।