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Chaitra Navratri 2022: नवरात्रि का 6वां दिन, जानिए कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना?

Chaitra Navratri 2022: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर राक्षस का वध किया था। इसी वजह से मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है।

नई दिल्ली। आज यानी 7 अप्रैल 2022 को नवरात्री का छठवां दिन है। इस दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि इस दिन माता की पूजा पूरे विधि-विधान से पूजा करने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इतना ही नहीं विवाह में आने वाली सभी प्रकार की बाधाएं भी दूर होती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां कात्यायनी ने महिषापुर राक्षस का वध किया था। इसी वजह से मां कात्यायनी को दानवों, असुरों और पापियों का नाश करने वाली देवी माना जाता है। आइए जानते हैं कैसा है मां का स्वरूप और उनकी पूजा-विधि…

मां कात्यायनी का स्वरूप

विशिष्ठ और आकर्षक स्वरूप वाली मां कात्यायनी का शरीर सोने की तरह चमकीला है। चार भुजाओं वाली इस देवी की सवारी सिंह यानी शेर है। मां कात्यायनी ने एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का पुष्प धारण किया है। मां के बाकी दोनों हाथ वर और अभयमुद्रा में हैं। मां कात्यायनी को शहद अतिप्रिय है। इसलिए भोग स्वरूप उन्हें शहद चढाना चाहिए। इसके अलावा लाल रंग के फूल भी अर्पित करना चाहिए। मां कात्यायनी की पूजा में लाल पुष्प बहुत शुभ माना जाता है। मां को लाल रंग के पुष्प खासकर लाल गुलाब अत्यंत प्रिय है।

पूजा-विधि

सुबह जल्दी उठकर स्नानादि के बाद से स्वच्छ वस्त्र धारण कर मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद उन्हें पीले रंग के वस्त्र पहनाएं। मां को लाल रंग के पुष्प अर्पित करें। इसके बाद उन्हें रोली कुमकुम का टीका लगाएं। मां को पांच प्रकार के फलों और मिष्ठानों का भोग लगाएं, जिसमें शहद अवश्य शामिल होना चाहिए। इसके बाद उनके मंत्रों का जप करें। फिर आरती कर मां को प्रणाम करें।

मां कात्यायनी मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मा कात्यायनी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

आरती-

जय-जय अम्बे जय कात्यायनी

जय जगमाता जग की महारानी

बैजनाथ स्थान तुम्हारा

वहा वरदाती नाम पुकारा

कई नाम है कई धाम है

यह स्थान भी तो सुखधाम है

हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी

कही योगेश्वरी महिमा न्यारी

हर जगह उत्सव होते रहते

हर मंदिर में भगत हैं कहते

कत्यानी रक्षक काया की

ग्रंथि काटे मोह माया की

झूठे मोह से छुडाने वाली

अपना नाम जपाने वाली

बृहस्‍पतिवार को पूजा करिए

ध्यान कात्यायनी का धरिए

हर संकट को दूर करेगी

भंडारे भरपूर करेगी

जो भी मां को ‘चमन’ पुकारे

कात्यायनी सब कष्ट निवारे।।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।