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Chaitra Navratri 2022: इस मुहूर्त में भूलकर भी न करें मां कात्यायनी की पूजा, जानिए देवी की पूजा का शुभ-मुहूर्त और कथा

Chaitra Navratri 2022: वो अशुभ मुहूर्त जिसमें पूजा नहीं करनी चाहिए और कौन से शुभ मुहूर्त हैं जिसमें पूजा करनी चाहिए आइये जानते हैं। इसके अलावा आज आपको मां कात्यायनी की कथा के विषय में भी बताते हैं,,,

नई दिल्ली। 2 अप्रैल से शुरू होने वाले चैत्र नवरात्रि का आज छठा दिन है इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने का विधान है। इस दिन मां कात्यायनी की पूजा पूरे विधि-विधान से करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। लेकिन इस बार नवरात्रि के छठे दिन कुछ अशुभ मुहूर्त भी पड़ रहे हैं, जिसमें मां की पूजा करने से बचना चाहिए। आज राहू काल भी बन रहा है। तो कौन से हैं वो अशुभ मुहूर्त जिसमें पूजा नहीं करनी चाहिए और कौन से शुभ मुहूर्त हैं, जिसमें पूजा करनी चाहिए, आइये जानते हैं। इसके अलावा आज आपको मां कात्यायनी की कथा के विषय में भी बताते हैं,,,

अशुभ काल

राहू – 2:02 शाम से 3:35 शाम तक

यम गण्ड – 6:17 सुबह से 7:50 सुबह तक

कुलिक – 9:23 सुबह  से 10:56 सुबह तक

दुर्मुहूर्त – 10:25 सुबह से 11:14 सुबह, 03:22 शाम से 04:11 शाम तक

वर्ज्यम् – 08:09 सुबह से 09:57 सुबह

शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त – 12:04 शाम से 12:53 शाम तक

अमृत काल – 12:47 शाम से 02:35 शाम तक

ब्रह्म मुहूर्त – 04:41 सुबह से 05:29 AM सुबह तक

मां कात्यायनी की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, कात्य गोत्र में एक विश्वप्रसिद्ध महर्षि ‘कात्यायन’ हुए थे, जिन्होंने भगवती पराम्बा की पूरे भक्ति भाव से उपासना की थी। अत्यंत कठिन तपस्या कर वो देवी को प्रसन्न करना चाहते थे, ताकि वो उनसे पुत्री प्राप्त होने का वरदान मांग सकें। उनकी तपस्या से खुश होकर मां भगवती ने उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसलिए उनका नाम देवी कात्यायनी पड़ा। मां का विशेष गुण शोधकार्य है, इसीलिए आज के वैज्ञानिक युग में मां कात्यायनी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। देवी कात्यायनी वैद्यनाथ नामक स्थान पर प्रकट हुईं थीं, जिसके बाद उनकी पूजा  गई। मां कात्यायनी अमोघ फल देने वाली हैं। भगवान कृष्ण को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए ब्रज की गोपियों ने कालिंदी यमुना के तट पर मां कात्यायनी की पूजा की थी। यही वजह है कि ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी प्रतिष्ठित हैं। शत्रुओं को पराजित करने वाली मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं का विवाह होता है। इसके अलावा मां कात्यायनी को बृहस्पति ग्रह की स्वामिनी भी कहा जाता है। इसलिए मां कात्यायनी की पूजा करने से ब्रहस्पति ग्रह से सम्बंधित दोष भी समाप्त होते हैं।

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। Newsroompost इसकी पुष्टि नहीं करता है।