
नई दिल्ली। देशभर में आज, 4 नवंबर 2022 देवउठनी एकादशी (Dev Uthani Ekadashi 2022) मनाई जा रही है। इसे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। कई जगहों पर देवउठनी एकादशी को हरि प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस एकादशी को देवउठनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि 4 महीने की योग निद्रा इस दिन भगवान विष्णु जागते हैं। ऐसे में इस दिन विष्णु जी पूजा का खास महत्व होता है। शंख, घंटी की आवाज से उन्हें जगाया जाता है और एकादशी के ही दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इन दिनों के बाद से ही शुभ कामों के लिए मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।
एकादशी के दिन तुलसी का भी होता है महत्व
एकादशी में तुलसी जी का भी अहम स्थान होता है। भगवान विष्णु को तुलसी काफी प्रिय होती हैं। विष्णु जी ने ही ये कहा था कि उनकी कोई भी पूजा तब तक पूरी नहीं होगी जब तक तुलसी को उसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यही वजह है कि जब भी विष्णु जी की पूजा होती है तो तुलसी को उसमें जरूर शामिल किया जाता है। कहा ये भी जाता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां के लोगों पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा अपने आप ही बनी रहती है। हिंदू धर्म में भी तुलसी के पौधे को काफी पवित्र माना गया है। सेहत के लिहाज से भी ये हमारे लिए काफी महत्वपूर्ण होता है लेकिन कई बार लोग अंजाने में तुलसी जी को लेकर ऐसी गलतियां कर देते हैं जिससे लोगों पर इसका बुरा असर पड़ता है।
रविवार और एकादशी को न करें ये गलती
रविवार और एकादशी ये ऐसे दिन है जिसमें तुलसी के पौधे को पानी देना वर्जित होता है। ऐसे में आप भी इन दो दिनों में तुलसी में जल न चढ़ाएं और न ही तुलसी के पत्तों तो तोड़े। जो लोग रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल अर्पित करते हैं तो इससे तुलसी जी तो नाराज होती ही साथ ही उस व्यक्ति के जीवन पर भी बुरा असर पड़ता है।