
नई दिल्ली। इन दिनों शादियों का सीजन है। हर ओर शहनाई और ढोल की गूंज सुनाई देती है। भारतीय संस्कृति में शादी का बहुत बड़ा महत्त्व है। शादी को 16 संस्कारों में एक और सबसे महत्वपूर्ण संस्कार माना गया है। कहते हैं शादी के बाद व्यक्ति पूर्ण रूप से गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है। शादी व्यक्ति के जीवन का सबसे बड़ा कार्य है, ऐसे में लोग हमेशा इसे किसी भी तरह के विघ्न के बिना सम्पन्न करना चाहते हैं। शादी हमेशा शुभ मुहूर्त देखकर ही की जाती है। शुभ मुहूर्त में शादी करने से व्यक्ति का दांप्तय जीवन खुशियों से भरा रहता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शुभ मुहूर्त निकालने के भी ज्योतिष शास्त्र में कई पैमाने तय किये गए हैं जिन्हें ध्यान में रखना बेहद जरुरी है। तो चलिए आज हम आपको बताते हैं शादी का मुहूर्त तय करने में किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरुरी माना गया है।
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शादी का मुहूर्त तय करने में इन बातों का रखें ध्यान:
- जिस महीने में जातक (जिसकी शादी हो रही है) का जन्म हुआ हो उस महीने में शादी नहीं की जाती है।
- जिस महीने में जातक के माता-पिता का विवाह हुआ हो उस महीने में भी बच्चों का विवाह निषेध माना गया है।
- ज्येष्ठ पुत्र यानी बड़े बेटे की शादी ज्येष्ठ मास में नहीं की जाती है।
- जिन महीनों में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण लगा हो उन महीनों के पहले तीन महीने और बाद के तीन महीनों में शादी का मुहूर्त नहीं निकालना चाहिए।
- गोचर में जब गुरु, शुक्र और तारा अस्त हो तब भी शादी नहीं की जानी चाहिए।
- इसकी अलावा चतुर्मास और खरमास में भी शादी नहीं की जाती है।
किन दिनों में शादी करना मना गया है शुभ:
बता दें कि शादी के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार के दिन को उत्तम माना गया है जबकि मंगलवार के दिन को विवाह के समारोह के लिए बेहद अशुभ माना गया है। इसके अलावा विवाह के लिए शुभ तिथियों की बात करें तो द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, एकादशी और त्रयोदशी की तिथि को विवाह कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
डिस्क्लेमर: इस आर्टिकल में दी गई जानकरियों की न्युजरूमपोस्ट पूरी तरह से पुष्टि नहीं करता है। अर्थात इसे अपनाने से पहले इस क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।