नई दिल्ली। शारदीय नवरात्रि का दूसरा दिन आज मंगलवार, यानी 27 सितंबर 2022 को है। इस दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना करने का नियम है। श्वेत वस्त्र धारण करने वाली मां ब्रह्मचारिणी के दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल विराजमान है। कहा जाता है कि मां पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी, उस रूप को ही तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी माता के नाम से जाना जाता है। तपश्चारिणी माता की पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से पूजा करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। आइए आपको बताते हैं माता के पूजन का शुभ-मुहूर्त, पूजा विधि के साथ कुछ अन्य महत्वपूर्ण बातों के बारे में…
पूजा का शुभ-मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:36 बजे से लेकर सुबह 05:24 तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 11:48 बजे से लेकर दोपहर 12:36 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:12 बजे से शाम 03:00 बजे तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:00 बजे से शाम 06:24 तक।
अमृत काल- रात 11:51 बजे से 28 सितंबर की सुबह 01:27 तक।
निशिता मुहूर्त- रात 11:48 बजे से 28 सितंबर की रात 12:36 तक।
द्विपुष्कर योग- शाम 06:16 बजे से 28 सितंबर की सुबह 02:28 तक।
पूजा- विधि-
1.सुबह जल्दी उठकर ब्रम्ह मुहूर्त में स्नानादि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
2.पूजा स्थल और घर की अच्छी तरह से सफाई करें।
3.घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर माता का गंगा जल से अभिषेक करें।
4.इसके बाद मां दुर्गा को अर्घ्य दें।
5.उन्हें अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें।
6.इसके बाद उन्हें फल और मिठाई आदि का भोग लगाएं।
7.अब धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
8.इसके बाद मां को प्रणाम कर विधि पूर्वक आरती करें।
9.ध्यान रहे व्रत हैं तो पूरे दिन फलाहार कर एक समय सेंधानमक का भोजन कर सकते हैं।
10.अगर व्रत नहीं हैं तो भी पूरे दिन सात्विक आहार ही ग्रहण करें।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी को सफेद रंग अत्यंत प्रिय है। इसलिए इस दिन सफेद रंग के वस्त्र, फूल, दूध से बने मिष्ठान और व्यंजन आदि अर्पित करने से माता प्रसन्न होकर आशीर्वाद प्रदान करती हैं।
श्लोक-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
ध्यान मंत्र-
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥