नई दिल्ली। हिन्दू धर्म में नवरात्रि की खास धूम होती है। भक्त पलके बिछाए मां दुर्गा के धरती पर आने का इंतजार करते है। साल में चार नवरात्रि आती हैं। इन 4 नवरात्रों में से दो नवरात्रि गुप्त होती है और दो प्रकट नवरात्रि। माघ और आषाढ़ माह में जो नवरात्रि पड़ती है वो गुप्त नवरात्रि कहलाती हैं। वहीं, चैत्र और आश्विन माह में पड़ने वाली नवरात्रि प्रकट नवरात्रि होती हैं। वैसे तो ये चारों नवरात्रि ही अपने में खास होती है लेकिन गुप्त नवरात्रि ज्यादा अघोरी और तांत्रिक दुर्लभ सिद्धियां प्राप्त करने के खास मानी जाती है।
चैत्र नवरात्रि कब से कब तक
इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो चुकी है। नवरात्रि (Chaitra Navratri 2023) के इन नौ दिनों को काफी खास माना जाता है। माता दुर्गा की कृपा पाने के लिए साधक इन नौ दिनों में मां के अलग-अलग 9 स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। इस साल 30 मार्च तक नवरात्रि मनाई जाएगी।
चौथे दिन मां के इस स्वरूप की होगी पूजा
आज शनिवार, 25 मार्च को मां दुर्गा के कुष्मांडा (Mata Kushmanda) स्वरूप की पूजा की जाएगी। मां का ये रूप काफी सौम्य है। मां के चेहरे पर मंद मुस्कान (हल्की सी मुस्कान) है। कहते हैं मां कुष्मांडा ने अपनी इस हल्की सी मुस्कान से ही पिंड से लेकर ब्रह्मांड की रचना की थी। ऐसे में जो भी भक्त मां की पूजा सच्चे मन से करता है तो मां उसे बल, यश, आयु और अच्छे स्वास्थ्य का वरदान देती हैं।
कैसा है मां कुष्मांडा का स्वरूप
मां कुष्मांडा को अष्टभुजा धारी कहा जाता है क्योंकि मां की आठ भुजाएं हैं। मां की सात भुजाओं में क्रमश: कमंडल, बाण, धनुष, कमल-पुष्प, अमृत पूर्ण कलश, गदा और चक्र हैं। वहीं, मां की आठवीं भुजा में जपमाला है। शेर पर सवार मां कुष्मांडा का जन्म दैत्यों के खात्मे के लिए हुआ था। मां दैत्यों के लिए जिस तरह से संहारक है ठीक उसी तरह भक्तों के लिए रक्षक हैं।