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Surya Grahan 2023: नवरात्रि शुरू होने से ठीक पहले लगने जा रहा सूर्य ग्रहण, जानें समय, सूतक काल, दुष्परिणाम और उपाय

Surya Grahan 2023: सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, ये अंतरिक्ष में होने वाली एक खगोलीय घटना है। लेकिन हिंदू धर्म में इन ग्रहणों का काफी महत्व होता है। अगर हम धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो अंतरिक्ष में होने वाले इन ग्रहणों के लिए राहु-केतु को जिम्मेदार माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण का प्रभाव ग्रह-नक्षत्र और सभी राशियों पर पड़ता है।

नई दिल्ली। कल यानी कि 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। लेकिन उससे ठीक एक दिन पहले आज 14 अक्टूबर को इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है। जी हां, शारदीय नवरात्र से ठीक एक दिन पहले ये सूर्य ग्रहण लगने वाला है। ऐसे तो हम सभी जानते हैं कि सूर्य ग्रहण हो या चंद्र ग्रहण, ये अंतरिक्ष में होने वाली एक खगोलीय घटना है। लेकिन हिंदू धर्म में इन ग्रहणों का काफी महत्व होता है। अगर हम धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बात करें तो अंतरिक्ष में होने वाले इन ग्रहणों के लिए राहु-केतु को जिम्मेदार माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ग्रहण का प्रभाव ग्रह-नक्षत्र और सभी राशियों पर पड़ता है। बता दें कि भारतीय समयानुसार 14 अक्टूबर को लगने वाला ये सूर्य ग्रहण रात 8:34 से मध्य रात्रि 2:25 तक रहेगा।

सूर्य ग्रहण एक ऐसी खगोलीय घटना है जिसमें सूर्य चन्द्रमा द्वारा अवरुद्ध हो जाता है। जबकि चंद्र ग्रहण में पृथ्वी की छाया चन्द्रमा को ढक देती है। बता दें कि सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चंद्रमा पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में आ जाता है, जिससे सूर्य अवरुद्ध हो जाता है। इस कारण पृथ्वी से सूर्य का प्रकाश वाला भाग दिखाई नहीं देता और उस समय पृथ्वी पर सूर्य का प्रकाश न पड़कर चंद्रमा की परछाई नजर आने लगती है। इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। सूर्य ग्रहण चार तरह के होते हैं- आंशिक सूर्य ग्रहण, वलयाकार सूर्य ग्रहण, पूर्ण सूर्य ग्रहण और संकर सूर्य ग्रहण। तो चलिए जानते हैं सूर्य ग्रहण का समय, प्रभाव और कहां-कहां दिखेगा ग्रहण, इन सब के बारे में विस्तार से…

सूर्य ग्रहण का समय

हिंदी पंचांग की गणना के अनुसार ये साल का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण है, जो 14 अक्टूबर 2023 को लगेगा। भारतीय समय के अनुसार ये सूर्य ग्रहण 14 अक्टूबर को रात के 8 बजकर 34 मिनट से आरंभ हो जाएगा। इस ग्रहण का समापन मध्य रात्रि को 02 बजकर 25 मिनट पर होगा। यह सूर्य ग्रहण वलयकार में होगा, जिसमें सूर्य आपको आसमान में एक अंगूठी यानी रिंग के आकार में नजर आएगा। इसे रिंग ऑफ़ फायर भी कहा जाता है।

इन जगहों पर दिखेगा साल का आखिरी सूर्य ग्रहण

14-15 अक्टूबर को लगने वाला साल का आखिरी सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा, क्योंकि ये सूर्य ग्रहण रात में लगेगा जिस कारण ये भारत में नहीं दिखाई देगा। ये सूर्य ग्रहण उत्तरी अमेरिका, कनाडा, मैक्सिको, अर्जेंटीना, पेरू, क्यूबा, कोलंबिया और ब्राजील में देखा जा सकेगा।

भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा

धार्मिक लिहाज से देखा जाए तो ग्रहण की घटना को शुभ नहीं समझा जाता है और ग्रहण लगने से पहले ही सूतक काल मान्य होता है। सूतक काल लग जाने के बाद किसी भी तरह के शुभ कार्य, पूजा या अनुष्ठान करना वर्जित होता है। बता दें कि सूर्य ग्रहण लगने पर ग्रहण के 12 घंटे पहले से सूतक काल मान्य होता है। वहीं चंद्र ग्रहण लगने की स्थिति में 9 घंटे पहले से सूतक काल मान्य होता है। चूंकि आज का ये सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जाएगा इसीलिए भारत में सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। भारत में आप सामान्य दिनचर्या से काम कर सकते हैं।

सूर्य ग्रहण का प्रभाव

शास्त्रों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण का प्रभाव शुभ नहीं माना गया है। ग्रहण जैसी घटनाओं से प्रकृति पर कुछ न कुछ दुष्प्रभाव ही पड़ते हैं। आज लगने वाले इस सूर्य ग्रहण की बात करें तो 17 अक्टूबर को सूर्य अपनी निचली राशि तुला में जाने वाला है और फ़िलहाल ये सूर्य ग्रहण कन्या राशि के अंतिम चरणों में व चित्रा नक्षत्र के दूसरे चरण में पड़ेगा। बता दें कि चित्रा नक्षत्र मंगल ग्रह का नक्षत्र है और मंगल भूमि का स्वामी है। अतः इस सूर्य ग्रहण का दुष्प्रभाव पृथ्वी पर ज्यादा देखने को मिल सकता है। मंगल और सूर्य दोनों ही अग्नि के कारक हैं। ऐसे में युद्ध, बारूद, आगजनी, विमान दुर्घटना, भूकंप की वजह से बड़ी जनहानि की संभावना बन जाती है।

सूर्य ग्रहण के दुष्प्रभावों को कम करने के उपाय

सूर्य ग्रहण के दुष्परिणाम कम करने के लिए सबसे अच्छे दो उपाय हैं- गायत्री मंत्र – ॐ भूर् भुवः स्वः। तत् सवितुर्वरेण्यं। भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो नः प्रचोदयात्॥ का जाप, या महामृत्युंजय मंत्र- त्र्यंबकम् यजामहे सुगंधिम पुष्टि: वर्धनम्। उर्वारुकमिव बंधनात् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।। का जप। इन दोनों में से किसी भी एक मंत्र का जाप करने से पृथ्वी पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है।