
नई दिल्ली। आज देश भर में फ्रेंडशिप डे मनाया जा रहा है। सभी लोग अपने दोस्त के दिन को स्पेशल बनाने की कवायद में लगे हैं। क्योंकि आज रविवार यानी छुट्टी का दिन भी है तो ऐसे में दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करनी तो बनती ही है। दोस्ती की बात हो और कृष्ण-सुदामा का जिक्र न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। तो आज उनकी दोस्ती को याद करते हुए हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भी इस दोस्ती की गवाही बनी हुई है। तो आइये जानते हैं कौन सी है वो जगह…
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में स्थित नारायणा नामक गांव का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और उनके परम मित्र सुदामा से है। प्रचलित कथाओं और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण जब शिक्षा प्राप्त करने के उद्देश्य से उज्जैन में स्थित गुरु संदीपनि ऋषि के आश्रम में आए थे, तो यहीं पर उनकी मित्रता एक गरीब ब्राम्हण सुदामा से हुई थी। शिक्षा प्राप्ति में दिन व्यतीत करते समय एक बार उनकी गुरु माता ने श्रीकृष्ण और सुदामा को आश्रम के उपयोग के लिए लकड़ियां लाने जंगल में भेजा। जंगल में लकड़ियां बीनते समय अचानक तेज बारिश शुरु हो गई और रात का अंधेरा होने की वजह से उन्हें एक स्थान पर रुकना पड़ा। इसी स्थान को ‘कृष्ण-सुदामा धाम’ के नाम से जाना जाता है, जो नारायणा गांव में स्थित है।इस मंदिर को ‘मित्रता के मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है।
मंदिर में एक लकड़ी के गट्ठर भी रखे हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि कृष्ण-सुदामा द्वारा एकत्रित की हुई लकड़ियां हैं, जिन्हें वो बारिश की वजह से ले नहीं जा पाए थे। उज्जैन जिले की महिदपुर तहसील के करीब 9 किमी दूरी पर स्थित ये मंदिर भारत का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान श्रीकृष्ण के साथ उनके मित्र सुदामा की पूजा की जाती है।